मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अब धीरे-धीरे हर एक्टिविटी डिजिटल फॉर्म में तब्दील हो रही है साथ ही साइबर बुलिंग भी डिजिटल होती जा रही है। ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ कम्युनिकेशन्स (Ofcom) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 8 से 17 साल के 39% बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं. रिसर्च में कहा गया है कि साइबर बुलिंग से पीड़ित 39% बच्चों में आमने-सामने (61%) की तुलना में बुलिंग ऑनलाइन (84%) होने की ज्यादा संभावना थी। Ofcom के मुताबिक, 56% बच्चे टेक्स्ट और मैसेज के जरिए साइबर बुलिंग का शिकार हुए। वहीं 43% बच्चे सोशल मीडिया से और 30% बच्चे ऑनलाइन गेमिंग से प्रताड़ित किए गए। Ofcom की रिपोर्ट के अनुसार, लड़कों के मुकाबले लड़कियों को साइबर बुलिंग का खतरा ज्यादा होता है। वहीं, दो तिहाई पेरेंट्स को चिंता है कि उनका बच्चा ऑनलाइन बुलिंग का शिकार बनता है। ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले 52% से ज्यादा बच्चों के पेरेंट्स को लगता है कि उनका बच्चा गेमिंग के दौरान बुली होता है। हालांकि, 93% बच्चों का कहना है कि बुली होने पर वे किसी न किसी को इस बात की जानकारी देते हैं।
तो वही डॉ राधा मोदगिल कहती हैं कि बच्चों के लिए साइबर बुलिंग खतरनाक हो सकती है। ये लगातार, हर मिनट, हर दिन एक बच्चे को परेशान कर सकती है। डॉ राधा का कहना है कि साइबर बुलिंग का एक पहलू गुमनामी भी है। लोग अपनी पहचान छुपाकर किसी को भी परेशान कर सकते हैं। ऐसे में किसी बच्चे को बड़ी आसानी से डराया-धमकाया जा सकता है।
बुलिंग के ऑनलाइन प्रकार को ही साइबर बुलिंग कहते हैं। हिंदी में इसका मतलब बदमाशी या दादागिरी करना भी होता है। इसमें कुछ बच्चे बल का प्रयोग करके या धमकाकर दूसरे बच्चों का अपमान करते हैं, उन्हें प्रताड़ित करते हैं या उन पर मनोवैज्ञानिक रूप से हावी होने की कोशिश करते हैं। बच्चों में ऐसा व्यवहार काफी सामान्य है।