मुंबई, 23 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांच का इस्तेमाल घर और दफ्तर की शोभा बढ़ाने के लिए, दिन प्रति दिन बढ़ता नजर आने लगा है। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी की इस कांच के बढ़ते इस्तेमाल से हर साल एक अरब से ज्यादा पक्षियों की मौत हो जाती हैं। अब संरक्षणवादी दुनिया भर में सरकारों और मकान मालिकों को नए बदलाव लागू करने के लिए समझाने की कोशिश कर रहे हैं। दिव्या अनंतरामन वॉल स्ट्रीट के पास एक ऑफिस टॉवर के आसपास बनी लकड़ी की बेंच के नीचे अपनी टॉर्च जलाती हैं। इस समय, न्यूयॉर्क की गलियों में बस कुछ ही लोग हैं जिन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत है। वह कहती हैं, "लेकिन इसी समय मुझे अपना साप्ताहिक खोज और बचाव अभियान शुरू करना जरूरी है। वह गगनचुंबी इमारतों से टकराकर मरने और घायल होने वाले पक्षियों की तलाश कर रही हैं। जैसे ही दिन थोड़ा साफ होगा, कर्मचारी फुटपाथों को साफ कर देंगे और मृतकों के सबूत खो जाएंगे।
एनवाईसी ऑडबोन एक शहरी संरक्षण समूह है, जो खिड़की की टक्कर से पक्षियों की मौत पर नजर बनाए रखता है। अनंतरामन इसी समूह के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करती हैं। वह अपने रास्ते में पड़ने वाली हर अंधेरी जगह का मुआयना करती हैं, और पेड़ों के आसपास देखती हैं। वह पूरी सावधानी से हर जगह का निरीक्षण कर रही हैं, ताकि अगर कोई एक भी पक्षी कांच से टकराकर यहां गिरा हुआ हो, तो वह उसे बचा सकें। अंतत: दो इमारतों को जोड़ने वाली कांच की चमचमाती पुल के पास उन्हें एक मरा हुआ पक्षी मिलता है। उन्हें लगता है कि यह अमेरिकी वुडकॉक है। इसकी चोंच लंबी होती है। यह प्रवासी पक्षी है। अलबामा और खाड़ी के किनारे बसे अन्य राज्यों में ठंड का मौसम बिताने के बाद वसंत के महीने में, वुडकॉक न्यूयॉर्क के रास्ते गुजरती है।
अनंतरामन कहती हैं की "इस पक्षी का शरीर कठोर है। इसका मतलब है कि यह कुछ ही समय पहले मरा है। इसकी आंखों भी बिल्कुल साफ है। वह इस पक्षी की तस्वीर लेती हैं। अपने अंगूठे से उसकी पलकें बंद करती हैं और उसे अपने गुलाबी बैग में रखती हैं। एक अरब से ज्यादा पक्षी की मौत एनवाईसी ऑडबोन का अनुमान है कि हर साल 90,000 से 2,30,000 पक्षी न्यूयॉर्क की इमारतों से टकराकर मर जाते हैं। शहर की रोशनी वाली इमारतें पक्षियों की उड़ान के लिए एक बहुत बड़ी बाधा हैं, खासकर वसंत और पतझड़ के प्रवास के मौसम में। आपको बता दे न्यूयॉर्क दक्षिण अमेरिका के प्रवास के रास्ते में स्थित है। जहां कई पक्षी सर्दी के मौसम में अपना आशियाना बनाते हैं। पक्षी तारों की मदद से अपना रास्ता तय करते हैं। ऐसे में रात में शहरों में उजाला फैलाने वाली कृत्रिम रौशनी उन्हें आकर्षित और विचलित करती है। पक्षियों को लगता है कि वे तारों के प्रकाश की ओर उड़ रहे हैं और आखिरकार वे अनजाने शहर में पहुंच जाते हैं। एनवाईसी ऑडबोन से जुड़े जीवविज्ञानी कैटलिन पार्किंस कहते हैं, "सबसे बड़ी समस्या परावर्तक कांच है. पक्षी कांच की दीवार को पेड़ समझ लेते हैं।