अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने देश में चल रहे वित्तीय संकट के बीच केंद्रीय बैंक से उधार लेने के लिए पाकिस्तान के अनुरोध को खारिज कर दिया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की किसी भी सार्थक जवाबदेही पर सहमत नहीं था.
पाकिस्तानी अखबार ने कहा कि केंद्रीय बैंक का लाभ भी संघीय सरकार को 100 प्रतिशत हस्तांतरित नहीं किया जाएगा जब तक कि एसबीपी को अपनी मौद्रिक देनदारियों को वापस करने के लिए कवर नहीं मिल जाता. रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेट बैंक के प्रॉफिट का कम से कम 20 फीसदी अब केंद्रीय बैंक के खजाने में तब तक रहेगा, जब तक उसे मनचाहा कवर नहीं मिल जाता.
आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार के एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2 प्रतिशत के बराबर लोन लेने की अनुमति देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने दलील दी थी कि लोन अपने कार्यों के वित्तपोषण के लिए लेना उसका संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद आईएमएफ ने मंजूरी नहीं दी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि आईएमएफ कार्यक्रम के तहत सितंबर 2022 तक स्टेट बैंक से सरकारी उधारी पर प्रतिबंध है, लेकिन सरकार अब हार मान चुकी है और कानून के जरिए इस दरवाजे को स्थायी रूप से बंद करने पर सहमत हो गई है.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक से उधार लेने पर प्रतिबंध ने सरकार को वाणिज्यिक बैंकों की दया पर छोड़ दिया है, जिन्होंने हाल के हफ्तों में ब्याज दर की मांग की है जो कि प्रमुख नीतिगत दर से काफी ज्यादा है.