मुंबई, 28 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा मिली है। जिसके बाद ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के इंडिपेंडेंट परमानेंट ह्यूमन राइट कमीशन (OIC-IPHRC) ने मलिक की सजा की आलोचना करते हुए कहा कि मलिक को अमानवीय परिस्थितियों में कैद किया गया है, जो कश्मीर में रह रहे मुसलमानों के उत्पीड़न को दर्शाता है। OIC ने मलिक की सजा को भारतीय न्याय प्रणाली का मजाक बनाने जैसा बताया। यासीन मलिक को सजा देना गलत है। OIC के इस बयान को भारत ने अस्वीकार्य करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यासिन मलिक के मामले में फैसले को लेकर भारत की निंदा करने वाली OIC-IPHRC की टिप्पणियों को भारत स्वीकार नहीं करेगा। इन टिप्पणियों के माध्यम से OIC-IPHRC ने ऐसा बयान देकर मलिक की आतंकी गतिविधियों का समर्थन किया है। अदालत में मलिक के खिलाफ लगे आरोप साबित हुए हैं और उसके बाद ही उसे सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा- दुनिया आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस चाहती है।
आपको बता दे, यासीन 19 मई की सुनवाई के दौरान अपने गुनाह कबूल कर चुका है। मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला करने का आरोप है। इस घटना में 40 लोग घायल व चार जवान शहीद हो गए थे। इसके साथ ही यासीन पर पाकिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप भी हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के भी आरोप लगे हैं। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। तो वही यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार मुहैया कराने से जुड़े कई केस दर्ज थे। उसे 25 मई को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। NIA के वकील उमेश शर्मा ने बताया था- यासीन को दो मामलों में उम्रकैद और 10 मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा इस अलगाववादी नेता को 10 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा।