मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंग्लैंड के जॉन इनेस सेंटर के वैज्ञानिकों ने प्लांट बेस्ड डाइट का सेवन करने वाले लोगों के लिए यह खास खोज की है। जिसमे उन्होंने एक खास टमाटर का निर्माण किया है, जिसमे टमाटर को विटामिन D से भरपूर बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने CRISPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। यह एक तरह से जीन्स के लिए कैंची की तरह काम करती है। इसके जरिए रिसर्चर्स किसी भी चीज के जेनेटिक कोड में बदलाव कर पाते हैं। आपको बता दे सूरज की रोशनी के बाद विटामिन D का सबसे अच्छा सोर्स मछली और दूध से बनी चीजों को माना जाता है, लेकिन जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से अब टमाटर भी इस न्यूट्रिएंट का बड़ा सोर्स बन जाएंगे। बता दें कि दुनिया भर में विटामिन D की कमी से 100 करोड़ लोग जूझ रहे हैं। यह दिल की बीमारी से लेकर कैंसर तक, कई गंभीर रोगों की वजह है। एक स्टडी के मुताबिक भारत में करीब 76% लोग विटामिन D डेफिशिएंसी के शिकार हैं।
वैज्ञानिकों ने CRISPR टूल की मदद से टमाटर के जीनोम स्ट्रक्चर में ऐसे बदलाव किए, जिनसे टमाटर और उसके पत्तों में 7-DHC कॉम्पोनेंट इकट्ठा होने लगे। यह कॉम्पोनेंट टमाटर के पत्तों में प्रकृतिक रूप से मिलता है और विटामिन D3 बनाने में काम आता है। विटामिन D3 ही विटामिन D का लेवल सबसे अच्छे तरीके से बढ़ाता है। वैज्ञानिकों ने टमाटर और उसके पत्तों को अल्ट्रावायलेट (UV) लाइट में एक घंटा एक्सपोज किया। नतीजों के मुताबिक, एक टमाटर में 2 अंडों या 28 ग्राम टूना मछली के बराबर विटामिन D पाया गया। यह रिसर्च नेचर प्लांट्स जर्नल में प्रकाशित हुई है।
रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि बदले गए टमाटरों पर UV लाइट की जगह प्राकृतिक सनलाइट का भी असर देखा जाएगा। इसके लिए इन टमाटरों को अब बाहर सूरज की रोशनी में ही उगाया जाएगा। इससे समझ आ जाएगा कि इनमें मौजूद 7-DHC विटामिन D3 में कन्वर्ट हो रहा है या नहीं। हाल ही में ब्रिटिश संसद में जीन एडिटिड फसलों के ट्रायल को लेकर बिल पास हुआ है।