राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को विदेश विभाग की वेबसाइट पर पोस्ट की गई एक लिस्ट के मुताबिक, प्रमुख पश्चिमी सहयोगियों, जिसमें इराक, भारत और पाकिस्तान सहित दिसंबर में लोकतंत्र पर एक आभासी शिखर सम्मेलन के लिए लगभग 110 देशों को आमंत्रित किया है.
चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है, जिसे इसमे आमंत्रित नहीं किया गया है, जबकि ताइवान है - बता दें कि इस कदम से बीजिंग नाराज हो सकता है. दूसरी तरफ तुर्की, जो अमेरिका की तरह ही नाटो का सदस्य है, भी प्रतिभागियों की लिस्ट से गायब है.
मध्य पूर्व के देशों में, 9-10 दिसंबर को होने वाले ऑनलाइन सम्मेलन में केवल इज़राइल और इराक होंगे.
अमेरिका के पारंपरिक अरब सहयोगियों - मिस्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात को आमंत्रित नहीं किया गया है.
बाइडन ने ब्राजील को आमंत्रित किया है, भले ही इसके राष्ट्रपति, जायर बोल्सोनारो की आलोचना की गई थी कि वे एक सत्तावादी झुकाव रखते थे और डोनाल्ड ट्रम्प के दृढ़ समर्थक थे.
यूरोप में, पोलैंड को अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर यूरोपीय संघ के साथ लगातार तनाव के बावजूद शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है. जबकि कट्टरपंथी राष्ट्रवादी प्रधान मंत्री विक्टर ओरबान के नेतृत्व में हंगरी को आमंत्रित नहीं किया गया है.
अफ्रीका में, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और नाइजर का नाम लॉस्ट में शामिल है.
अगस्त में शिखर सम्मेलन की घोषणा करते हुए, व्हाइट हाउस ने कहा कि बैठक "तीन प्रमुख विषयों में प्रतिबद्धताओं और पहलों को बढ़ावा देगी, जिसमें सत्तावाद के खिलाफ बचाव, भ्रष्टाचार से लड़ना और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देना है.