मुंबई, 28 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद महिलाओं की जीवन काफी संघर्षमय हो गया है। यहां महिलाओं से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं उन्हें दबाया जा रहा है। इसको लेकर UNSC ने चिंता जाहिर करते हुए सिक्योरिटी काउंसिल ने तालिबान की महिला अधिकार विरोधी नीतियों पर चिंता जताई थी। उन्होंने तालिबान को अपने देश में महिलाओं के मानवीय अधिकारों का हनन न करने की सलाह दी थी। जिसके बाद तालिबान ने UN की इस सलाह को सिरे से नकार दिया है। तालिबानी प्रवक्ता अब्दुल कहर बर्ल्ख ने इस सलाह को नकारते हुए कहा कि अफगानिस्तान मुस्लिम आबादी का देश है। इसलिए हमारी सरकार महिलाओं के पर्दे और हिजाब को समाज और संस्कृति के लिए जरूरी मानती है। आपको बता दे इन प्रतिबंधों के बाद अफगानिस्तान की महिलाओं ने सड़क पर उतर कर तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन भी किए। ये प्रदर्शन अधिकतर काबुल और हैरात जैसे बड़े शहरों में ही हुए थे। इन प्रदर्शनों के बाद कई बार महिलाओं के साथ मारपीट की बात भी सामने आई थी।
दरअसल पिछले साल अगस्त में तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद महिलाओं के ज्यादातर अधिकार सीमित कर दिए हैं। तालिबान ने काबुल के अलावा अधिकतर महिला स्कूल और कॉलेजों को खोला नहीं है। अगर कहीं प्राथमिक स्कूलों को खोला भी गया है, कई तरह के प्रतिबंध लगाकर उन्हें स्कूल जाने की इजाजत दे रही है। इसके अलावा तालिबान ने महिलाओं के अकेले फ्लाइट में ट्रेवल करने पर रोक लगाई। उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी न करने के आदेश दिए। साथ ही तालिबान ने कई ऑफिसों में महिलाओं के जाने पर भी रोक लगा दी थी।