मुंबई, 27 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लंदन में भारत की राइटर गीतांजलि श्री को बुकर अवॉर्ड दिया गया। गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। गीतांजलि श्री का उपन्यास हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से पब्लिश हुआ था। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब है। साथ ही यह किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब भी है। गीतांजलि को 50 हजार पाउंड की इनाम राशि मिली, जिसे वो डेजी रॉकवेल के साथ साझा करेंगी क्योकि इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद अमेरिकन राइटर-पेंटर डेजी रॉकवेल ने ही किया था।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की गीतांजलि श्री को पुरस्कार मिला, तब खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा- मैंने बुकर का सपना कभी नहीं देखा था। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं चकित हूं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। उन्होंने कहा- हिंदी-अंग्रेजी और फ्रेंच पब्लिशर्स सहित में अपनी फ्रेंच अनुवादक एनीमांतो की आभारी हूं। आपको बता दे गीतांजलि श्री अब तक तीन उपन्यास और कथा संग्रह लिख चुकी हैं। उनके उपन्यासों और कथा संग्रह को अंग्रेजी, जर्मन, सर्बियन, फ्रेंच और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
किताब किस विषय पर है -
रेत समाधि एक अस्सी साल की महिला की कहानी है, जो विभाजन का दर्द सहती है। वह कई तकलीफें उठाकर पाकिस्तान तक का सफर तय करती है। जूरी ने इस उपन्यास को भावनाओं का समंदर कहा। जूरी ने माना कि इसमें एक औरत की भावनाओं को पूरे दर्द के साथ लिखा गया है। इसे हर पाठक महसूस कर सकता है।