मुंबई, 20 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जूलियन असांजे जो WikiLeaks के संस्थापक है उन्हें अमेरिका के हवाले किया जाएगा। जिसके लिए ब्रिटेन की अदालत ने औपचारिक रूप से आदेश जारी कर दिया है। आपको बता दे असांजे ने 2010-11 में हजारों क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स को पब्लिक कर दिया था। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के एक न्यायाधीश ने एक छोटी सी सुनवाई में यह आदेश जारी किया है। जिसके बाद अब ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीति पटेल को ये जिम्मेदारी दी गई की प्रत्यर्पण को मंजूरी दी जाए या नहीं। हालांकि असांजे के वकील अभी भी हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। इस मामले में डिफेंस के पास सबमिशन करने के लिए अभी भी 18 मई तक का समय है।
क्या था मामला -
आपको बता दे असांजे ऑस्ट्रेलिया के नागरिक हैं। वह 2019 से लंदन की बेल्मार्श जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद अमेरिका की तरफ से उन्हें वापस लौटने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी जिसके बाद अर्जी को सार्वजनिक किया गया। असांजे ने WikiLeaks की वेबसाइट पर मिलिट्री और डिप्लोमेटिक डॉक्युमेंट सार्वजनिक किए थे। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर इराक में युद्ध अपराध का आरोप लगाया था। असांजे पर यह भी आरोप है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन से जुड़े ईमेल हैक कर WikiLeaks को दिए थे। अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। 23 मई 2019 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने असांजे के खिलाफ जासूसी के 17 केस दर्ज किए गए थे। इसी वजह से असांजे को अमेरिका के हवाले करने के लिए राजी नहीं था। तो वही असांजे ने 2012 में इक्वाडोर (Ecuador) से शरण मांगी थी, जिसके बाद लंदन में इक्वाडोर ऐम्बेसी में उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया गया। वे यहां 2012 से 2019 के बीच रहे। जिसके बाद वह 11 अप्रैल 2019 को वे कोर्ट में पेश होने से चूक गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अगर असांजे पर लगे सभी आरोपों में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो उन्हें 175 साल तक की सजा हो सकती है।