मुंबई, 1 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। हम जल्द ही अंतरिक्ष से सोलर एनर्जी इकट्ठा कर पृथ्वी पर माइक्रोवेव्स के जरिए बिजली की पूर्ति कर सकते हैं। ब्रिटेन के स्पेस एनर्जी इनिशिएटिव (SEI) के को-चेयरमैन मार्शियन सोल्ताऊ के मुताबिक, यह 2035 तक संभव हो सकता है। फिलहाल उनकी टीम प्रोजेक्ट 'कैसिओपेआ' पर काम कर रही है, जिसमें धरती की उच्च कक्षा में बड़े-बड़े सैटेलाइट्स भेजे जाएंगे। तो वही अमेरिका की एयर फोर्स रिसर्च लैबोरेटरी (AFRL) भी कुछ ऐसी ही टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट का नाम स्पेस सोलर पावर इंक्रीमेंटल डिमोंस्ट्रेशन एंड रिसर्च (SSPIDR) है। इसमें सोलर सेल्स को बेहतर करना और सोलर एनर्जी को रेडियो वेव में बदलकर उससे बिजली का उत्पादन करना शामिल है।
दरअसल, अंतरिक्ष में सूर्य की एनर्जी सप्लाई काफी ज्यादा है और पृथ्वी की उच्च कक्षा में बड़े सैटेलाइट्स के लिए जगह भी बहुत है। पृथ्वी की जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (भूस्थैतिक कक्षा) के चारों ओर एक पतली पट्टी को हर साल 100 गुना से ज्यादा सोलर एनर्जी मिलती है। इतनी ऊर्जा धरती पर इंसानों द्वारा 2050 में इस्तेमाल करने का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक, ये सैटेलाइट्स फैक्ट्री में बनने वाले लाखों छोटे-छोटे मॉडल्स को मिलाकर बनेंगे। इन्हें अंतरिक्ष में रोबोट्स की मदद से असेंबल किया जाएगा। यही रोबोट्स आगे जाकर इनका मेंटेनेंस और सर्विसिंग भी करेंगे।
सैटेलाइट्स सोलर एनर्जी को हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स में बदलकर उन्हें एंटीना के जरिए धरती पर भेजेंगे। इसके बाद इन रेडियो वेव्स को बिजली में कन्वर्ट किया जाएगा। हर सैटेलाइट 2 गीगावॉट बिजली प्रोड्यूस करने में सक्षम होगा। धरती पर सूरज की रोशनी बिखरकर आती है, लेकिन स्पेस में ऐसा कुछ नहीं होता। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च कक्षा में भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स सोलर एनर्जी पैदा करेंगे और उसे पृथ्वी की ओर भेजेंगे। सोल्ताऊ कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट की क्षमता असीमित है। सैद्धांतिक रूप से यह 2050 में दुनिया की सारी ऊर्जा की सप्लाई कर सकता है।