नई दिल्ली, 5 जुलाई 2021
हमारे देश का डायरेक्ट सेलिंग यानी सीधे ग्राहकों को बेचे जाने वाले उत्पाद उद्योग 2011 के बाद से उद्योग लगातार तेजी के साथ आगे बढ़ते जा रहा है। यह उद्योग ने 2016 में 126.2 अरब रुपए का हो गया था । 2011 से 2016 के सिर्फ पांच सालों में इस उद्योग में करीबी दोगुनी वृद्धि हुई । उद्योग मंडल एसोचैम ने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला था कि यह उद्योग 2021 के अंत तक 159.3 अरब रुपए के स्तर को छूने का अनुमान है ।
जिस तरह से यह उद्योग बढ़ रहा है वैसे इसमें के कई नियमों में बदलाव कि आवश्यिकता नज़र आ रही है। इन जरूरतों तो ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने डायरेक्ट सेलिंग करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए कुछ पुराने नियमो में बदलाव हुए और कुछ के लिए कुछ नए नियम भी लागू किये गए हैं। कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री ने इन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करते हुए कुछ नियम बनाए हैं। नए नियमों को उदेश्य है कि ग्राहक, विक्रेताओं या एजेंट सभी के हित तो सुरक्षित रखा जाये, ख़ास कर ग्राहकों के प्रति भी डायरेक्ट सेलिंग करने वाली कंपनियों की जवाबदेही बढ़ा दी जाये।
अब डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां अपने एजेंट को सामान के प्रदर्शन के लिए देने वाली चीजों के पैसे नहीं ले सकती है ना ही कोई एजेंट से कोई एंट्री या रजिस्ट्रेशन फीस लेने की इजाजत हैं। डायरेक्ट सेलिंग से जुडी हर कंपनी को इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट (DPIIT) के साथ रजिस्टर होना जरूरी है। कंपनी के रजिस्ट्रेशन नंबर कंपनी के वेबसाइट और इनवॉइस पर स्पस्ट दिखने चाहिए । साथ ही उनके पास कुछ डेडिकेटेड एग्जिक्युटिव्स होना चाहिए, जो ग्राहकों के झगड़ों को सुलझाएं में मदद करे ।