नई दिल्ली, 06 मई । दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है और उसमें लक्षण देखे जाते हैं तो उन लोगों को भी प्राथमिकता से इलाज देना जरूरी है। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है, ड्राइविंग लाइसेंस से भी दवा दी जा सकती है।
सुनवाई के दौरान वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि वो रेमडेसिविर के स्टॉक की जानकारी जानना चाहती हैं। तब कोर्ट ने कहा कि हम स्टॉक की पूरी जानकारी सार्वजनिक करना चाहते हैं। कितने रेमडेसिविर का इस्तेमाल हुआ और कहां इस्तेमाल हुआ। हम ये जानना चाहते हैं कि रिटेलर कौन है। कोर्ट ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर संजय धीर ने हमें बताया है कि पूरी आनलाइन प्रक्रिया काफी धीमी है। कोर्ट ने कहा कि रेमडेसिविर का स्टॉक डॉक्टर के पास इलाज के समय उपलब्ध होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान संजय धीर ने कहा कि इंजेक्शन का डाटा ऑटोमेटिक तौर पर रखा जा सकता है। इसे मैन्युअली करने की जरूरत नहीं है। तब एमिकस क्यूरी राजशेखर राव ने कहा कि अगर कोई आधार कार्ड नहीं दिखाता है तो हम ड्राईविंग लाईसेंस भी मांग सकते हैं। आधार कार्ड दिखाने से तकनीकी गतिरोध सामने आती है। उन्होंने कहा कि लोगों ने रेमडेसिविर का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है।
वकील आदित्य एन प्रसाद ने कहा कि आज भी एक खबर आई है कि डॉक्टरों को रेमडेसिविर की मांग के लिए फॉर्म भरने में ही 20 मिनट लग जाते हैं। तब प्रोफेसर संजय धीर ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इतना समय वे क्यों ले रहे हैं। फॉर्म में केवल चार-पांच फील्ड ही भरने हैं। तब प्रसाद ने कहा कि यह अस्पताल के वातावरण की वजह से होता है। एक डॉक्टर से सभी कागजी काम पूरे करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता और वकील राकेश मल्होत्रा ने कहा कि रेमडेसिविर के लिए आठ कॉलम हैं। तब कोर्ट ने कहा कि राजशेखर राव ने हमें रेमडेसिविर का रिजर्व का अकाउंट बनाने को कहा है। ये रिजर्व हर अस्पताल में उपलब्ध होगा। हर अस्पताल को 48 घंटे में अपडेट करना होगा। इस पर वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में मैन्युफैक्चरर या स्टॉकिस्ट से ज्यादा अस्पताल जिम्मेदार हैं।
अग्रवाल ने कहा कि पोर्टल इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर रेमडेसिविर की मांग करता है तो उसे कुछ घंटों में मिल जाएगा। तब मालविका त्रिवेदी ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी में बड़ी गड़बड़ी हो रही है जिसकी वजह से दवाइयों की कमी होती है। इस पर बत्रा अस्पताल ने कहा कि हर बड़े अस्पताल में इसका अच्छा सिस्टम है। इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है। तब राजशेखर राव ने कहा कि अस्पतालों के फार्मेसी को रोजाना ओपनिंग स्टॉक दिखाना चाहिए। अगर उसमें कमी होगी तो आप उसकी मांग कर सकते हैं और कमी की भरपाई हो सकती है।