वाराणसी। बनारस और चाय दोनों ही एक दूसरे के पूरक है, यूँ तो बनारस के हर गली, हर नुक्कड़ पर आपको तरह-तरह की चाय मिल जाएगी पर देश में तकनीक और नवीनीकरण के बढ़ते दौर में अब चाय में भी आपको इंजीनियरिंग देखने को मिल रही हैं। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के अस्सी चौराहे पर स्थित "इंजीनियर चाय वाला" की। जैसा इनका नाम है कुछ वैसी ही चाय इनके यहां आपको देखने को मिलेगी। अत्याधुनिक मशीनों से लैस इंजीनियर्स कैफे में आपको 10 तरह की चाय के साथ ही साथ, कुल 60 तरह के पेय पदार्थ मन को लुभाते हुए मिल जाएंगे।
इंजीनियर कैफे के कर्ता-धर्ता अमन जैन वाराणसी के ही निवासी है जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में नॉकरी भी शुरू कर दी थी, पर कुछ अलग करने की ललक ने उन्हें इस कैफे को खोलने पर मजबूर कर दिया। कैफे की शुरूआत होते ही अपने निराले नाम और सामान्य से पेय चाय के बेहद निराले अंदाज के कारण बनारस ही नहीं बल्कि बनारस के अगल-बगल के कई जिलों में भी सोशल मीडिया के माध्यम से अमन की यह पहल आकर्षण का केंद्र बन रही है।
चाय की वैराइटी ऐसी की आप हो जाएंगे दीवाने:-
पानी के बाद सबसे ज्यादा पिये जाने वाले पेय पदार्थ चाय में वैसे तो केवल दूध पानी, चीनी, अदरक और इलायची जैसे कुछ सामान्य सी चीजें मिलाई जाती हैं पर अमन की चाय में आपको कई तरह के मसालों का जायका मिलेगा जो आपके जुबान के साथ ही साथ आपके स्वास्थ को भी भाएगा । इंजीनियर चाय वाले के संचालक अमन जैन ने बताया कि उनके पास बनारसी पान चाय के अलावा कुल 10 तरह की चाय की वैरायटी है, जिनमे लोगों को पान वाली चाय सबसे ज्यादा पसंद है। अमन ने बताया कि उनके चाय बनाने का तरीका भी दूसरों से बिल्कुल अलग है। अत्याधुनिक मशीनों के इस्तेमाल से हर तरह की चाय को वो महज 15 से 20 सेकेंड में तैयार कर देते हैं। मशीन के इस्तेमाल से जहां एक तरफ चाय जल्दी बन जाती है तो वहीं दूसरी तरफ महामारी के मद्देनजर साफ-सफाई और हाइजीन का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।
अब पीजिए गन्ने का रस वो भी इटली की मशीन का :-
चाय के साथ ही साथ आपको विदेशी तकनीक से बनी मशीन से निकलने वाले गन्ने के रस का भी आनंद मिलेगा खास बात यह है कि यह मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक है, मशीन में सिर्फ एक तरफ से एक गन्ने डालने की आवश्यकता है तो वहीं दूसरी तरफ से फिल्टर की हुई और जरूरत के हिसाब से ठंडी और गर्म गन्ने की दर्जनभर फ्लेवर युक्त रस आपके ग्लास में चली आएगी।
अपने इस पहल के बाद अमन ना सिर्फ अपने विशेष चाय के लिए जाने जाने लगे बल्कि आज के युवाओं के लिए भी एक उदाहरण बन चुके हैं जो इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं बजाय इसके कि वह अपने रुचि और खुद की योग्यता के आधार पर एक ऐसा एकल व्यापार शुरू करें जिससे ना केवल उनका जीविकोपार्जन हो पाए बल्कि उनके क्षेत्र प्रदेश का नाम दूर-दूर तक विख्यात हो जाए।