वाराणसी। मंदिरों के शहर काशी में ऐसे तो बहुत छोटे, बड़े, नए व पुराने मंदिर है वहीं काशी में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां देवी-देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि अखंड भारत के मानचित्र को लोग पूरी श्रद्धा से शीश नवाजते हैं। इस मंदिर में गर्भगृह की जगह चौकोर मंडप में भारत माता का मकराना के संगमरमर से बना विशाल भूचित्र है। यही मंदिर की देवी हैं। जिन दिनों अंग्रेज हिंदुस्तानियों के देशप्रेम की चर्चा तक सुनना पसंद नहीं करते थे, देशप्रेम का भव्य स्मारक खड़ा करना जोखिम की बात थी। उस समय अंग्रेजों की अधीनता में दबे भारतीयों ने इस भव्य और अनूठे मंदिर की परिकल्पना को करीब 10 लाख रुपये से शिव प्रसाद गुप्त ने इसका निर्माण कराया था।
महात्मा गांधी ने 25 अक्टूबर 1936 विजयादशमी के दिन इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। और कहा था कि यहां संगमरमर पर उभरा हुआ भारत का मानचित्र सभी धर्मों, जातियों और विश्वास के लोगों के लिए सार्वदेशिक मंच का रूप ग्रहण कर लेगा और देश में पारस्परिक धार्मिक एकता, शांति तथा प्रेम की भावनाओं को बड़ाने में बड़ा योगदान देगा।
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष यादव ने बताया कि शिवप्रसाद गुप्त को इस अद्वितीय मंदिर के निर्माण की प्रेरणा पुणे स्थित कर्वे आश्रम में मिट्टी से बने भारत माता के भूचित्र से मिली थी। उनकी इच्छा हुई कि ऐसा ही एक मानचित्र काशी में भी बनाया जाए। शिल्पी दुर्गाप्रसाद को संगमरमर पर भारत माता उकेरने का भार दिया गया और अथक परिश्रम तथा योग्यता से उन्होंने जिम्मेदारी निभाई।
हमारी मातृभूमि इस मानचित्र से चार लाख पांच हजार पांच सौ गुना बड़ी है। धरातल भूमि एक इंच में 6.4 मील दर्शायी गई है यानी एक इंच भूमि की लंबाई छह मील सात सौ गज है। वहीं समुद्र तट से 500, एक हजार, दो हजार, तीन हजार, छह हजार, दस हजार, 15 हजार, 20 हजार व 25 हजार फीट की ऊंचाई स्पष्ट रेखाओं से काटकर दर्शायी गई है। पश्चिम तक लंबाई 32 फीट दो इंच व उत्तर से दक्षिण तक 30 फीट दो इंच है, जिसमें चौकोर मकराना के 11 इंच के 762 सफेद पत्थर काटकर लगे हैं। इसमें हिमालय व दूसरे पर्वतों की 450 चोटियां इंच में दो हजार फीट के हिसाब से काट कर दिखाई गई हैं। 800 छोटी व दो बड़ी नदियां जो अपने स्रोत से लेकर जहां गिरी हुई हैं ठीक दो मार्ग में दिखाई गई हैं।
भारत भूमि की प्राकृतिक ऊंचाई और निचाई आदि पर दृष्टि रखते हुए यह टुकड़े बड़ी सावधानी और शुद्धता से काट-छांट कर प्रस्तुत किए गए हैं। मानचित्र में उत्तर में पामीर पर्वत शिखरों से लेकर दक्षिण में सिंहल द्वीप के दक्षिणी छोर तक और पूर्व में मौलमीन तथा चीन की प्रसिद्ध प्राचीन दीवार कहकहा से लेकर पश्चिम में हेरात तक का भूभाग दिखाया गया है। भारत वर्ष के साथ ही इसके समीपवर्ती अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, भोट (तिब्बत), ब्रह्मादेश (म्यांमार), सिंहल (लंका) और मलाया प्रायद्वीप का हिस्सा भी दिखाया गया है।