वाराणसी। BLW के पास भिखारीपुर तिराहे पर ट्रैफिक इंस्पेक्टर कैन्ट तथा सेक्टर प्रभारी सन्तोष सिंह ने सिग्नल तोड़ने वाले दर्जनों लोगों का चालान किया वही चार पहिया वाहनों में काली फ़िल्म लगा कर चल रहे लोगो का फ़िल्म उतरवाया गया और चालान भी किया गया।
शहर में आये दिन बढ़ते अपराधों को देखते हुए ट्रैफिक विभाग काफ़ी चौकन्ना हो गई है तथा जगह-जगह वाहनों के दस्तावेज और काले फिल्मों की जांच भी कर रही है।
ब्लैक फिल्म पर इसलिए है प्रतिबंध:-
दुष्कर्म और अपहरण जैसी घटनाओं में काले कांच वाली कार के अधिक उपयोग होने का मामला अक्सर सामने आता है। आतंकी प्रवृत्तियों और हथियारों की तस्करी सहित गंभीर मामलों को रोकने के लिए कारों से ब्लैक फिल्म को हटाना जरूरी था। इसे ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ब्लैक फिल्म हटाने का निर्देश दिया था।
यह है सुप्रीम कोर्ट का नियम:-
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 27 अप्रैल 2013 को फोर व्हीलर पर हर तरह की काली फिल्म पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। वाहन निर्माताओं की ओर से लगे कांच को ही मान्य किया, इसके पहले सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 की धारा 100 (2) के अनुसार, काले वाहनों में सामने और पीछे के शीशे में 70 फीसदी तक और खिड़कियों में 40 फीसदी तक पारदर्शिता होनी चाहिए.
वाहन मालिकों पर होगी कार्रवाई:-
पुलिस का कहना है कि अगर किसी भी कार के कांच पर ब्लैक फिल्म दिखाई देती है तो सबसे पहले उसे रोककर उसकी तलाशी ली जाती है और मौके पर ही ब्लैक फिल्म को कांच से निकाला जाता है। इसके अलावा कार चालक से जुर्माना भी वसूल किया जाता है,