वाराणसी, 10 जून 2021 | मोक्ष की नगरी काशी में गंगाजल में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ी है। हरे शैवाल की समस्या से जूझ रही गंगा के जल में फास्फोरस और नाइट्रोजन की बढ़ी हुई मात्रा ने नदी विज्ञानियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों से कुछ दिनों तक गंगा में स्नान व आचमन नहीं करने की अपील की है।
गंगा में प्रदूषण व शैवाल की समस्या की जांच के लिए बुधवार को भी सैंपलिंग की गई। जिलाधिकारी के निर्देश पर 10 जून तक यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि पिछले 15-20 दिनों से गंगा में हरे शैवाल नजर आ रहे हैं। गंगा में बहाव कम होने के कारण इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पहले से हरे शैवाल में कमी आई है। बरसात होने और गंगा में पानी छोड़े जाने से शैवाल खुद ब खुद बहाव के साथ हट जाएगा। फिलहाल गंगा का पानी आचमन या नहाने योग्य नहीं है। लोगों से अपील है कि फिलहाल कुछ दिन तक गंगा स्नान व आचमन से परहेज करें तो उनके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर होगा।
अपस्ट्रीम में है पानी का रंग हरा
अपस्ट्रीम कानपुर से लेकर प्रयागराज, मिर्जापुर और बनारस में भी गंगा के पानी का रंग हरा हो गया है। जांच में पता चला है कि यह रंग हरे शैवाल का है। इसका अध्ययन करने के लिए रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। रीजनल ऑफिस सोनभद्र से मिली जानकारी के अनुसार, मिर्जापुर के अपस्ट्रीम में हरे शैवाल थोड़े कम हो गए हैं, जबकि डाउनस्ट्रीम और चुनार में ज्यादा मिले हैं। इसका कारण पानी का ठहराव और गंगा में कम पानी का होना है। इसके कारण गंगा में फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई है। तापमान भी 25 डिग्री से अधिक होने के कारण हरे शैवाल का फार्मेशन होता है। फोटो सिंथेसिस और शैवाल के कारण गंगाजल की सैंपलिंग में डीओ यानी डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्रा 11.2 मिली है। इसके पहले डीओ की मात्रा 8-9 के बीच मिली थी।
गंगा के जलस्तर में हुई 21 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी
गंगा के जलस्तर में पिछले छह दिनों में 21 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई। चार जून को गंगा के जलस्तर में 11 सेंटीमीटर की गिरावट के बाद जलस्तर 58 मीटर तक पहुंच गया था। इसके बाद प्रदूषण व शैवाल की समस्या तेजी से बढ़ी थी। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बुधवार को गंगा का जलस्तर 58.21 मीटर दर्ज किया गया।