वाराणसी। संयुक्त किसान मोर्चे ने बीएचयू लँका गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। किसान आंदोलन के समर्थन में वाराणसी में भी भारत बंद का असर दिखा इसे सफल करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे ने bhu लँका गेट पर प्रतिरोध सभा की।
सभा में उपस्थित लोगों ने मोदी सरकार को किसान विरोधी_मजदूर विरोधी बतलाते हुए जम के नारेबाजी की। कार्य्रकम में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) भगतसिंह छात्र मोर्चा औऱ समाजवादी जन परिषद द्वारा आयोजित था।
कार्यक्रम का संचालन ऐपवा की राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने किया। किसान मजदूर परिषद से अफलातून, राजेन्द्र, किसान नेता जन्म, लक्ष्मण, पीएसफोर से निराला, बीसीएम से इप्शिता, आइसा से राजेश, बीएचयू प्रो प्रतिमा गोंड, घरेलू कामगारिनो में विमला शीला सविता और पारमिता, डॉ मुनीज़ा, डॉ आरिफ, डॉ नूरफतिमा ट्रेड यूनियन नेता वी की सिंह जी ने बात रखी। किसानों की मांगों को लेकर ज्ञापन भी दिया गया।
इस ज्ञापन के माध्यम से दिल्ली और अब पूरे देश में चल रहे किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों की तरफ से ध्यान आकर्षित करना चाहते है। सरकार का रवैया बेहद संवेदनशील बना हुआ है। किसान आंदोलन की मांग है कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बनाये गये तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाए। किसानों का कहना है कि इन कानून को चलते उनकी खेती तबाह हो जाएगी और वह अपने ही खेत गुलाम बन जायेंगे साथ ही अनाथ के भंडारण पर लगी सीमा के समाप्त हो जाने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्य सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सयुंक्त किशन मोर्चा की मांग :
1) काले कुछ कानून को तत्काल वापस लें।
2) किसान की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी क्रय केन्द्रो में खरीदने की गारंटी करें ।
3) न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीद को गैर कानूनी घोषित करें ।
4) स्वारीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप किसान लागता मूल्य का डेढ़ गुने दाम की गारंटी करें ।
5) पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमतें वापस ले और इनके मूल्य नियंत्रण के लिए सरकारी अनुदान दें ।
6) बिजली बिल 2020 वापस लें।
7) चार श्रम कोड रद्द करें।
8) राष्ट्रीय मुद्रीकरण नीति वापस लें।