बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी की ऐतिहासिक दालमंडी गली के चौड़ीकरण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई नेताओं को पत्र लिखकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस योजना की जद में इस्लाम धर्म से जुड़ी छह प्राचीन मस्जिदें भी आ रही हैं, जिनका विध्वंस अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा और आक्रोश पैदा कर सकता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित दालमंडी क्षेत्र को चौड़ा करने का प्रस्ताव हाल ही में योगी कैबिनेट से पास हुआ है। प्रशासन इस इलाके को 3 फीट से बढ़ाकर 56 फीट चौड़ा करना चाहता है, जिसके लिए 220 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस काम में लगभग 180 से ज्यादा भवनों को तोड़ने की बात सामने आई है। यहां के नागरिकों का कहना है कि यह क्षेत्र व्यापारिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, जहां हिंदू-मुस्लिम एकजुटता का मिसाल कायम है।
मौलाना बातिन ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि इस निर्णय से क्षेत्र के करीब 10,000 परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी। उनका कहना है कि इस ऐतिहासिक इलाके में धर्मस्थलों और लोगों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के बजाय वैकल्पिक मार्ग पर विचार किया जाए। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस स्टे ऑर्डर का भी जिक्र किया, जिसमें कुछ मस्जिदों और मकान मालिकों को अस्थायी राहत दी गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े अंजुमन मसाजिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने भी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इलाके के हिंदू और मुसलमान दोनों चिंतित हैं, लेकिन प्रशासन से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। इसलिए मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने मजबूर होकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और कई राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र भेजकर इस निर्णय को रोकने की अपील की है।