वाराणसी। कोरोना तीसरी लहर को लेकर एनडीआरएफ की टीम सजक और सतर्क हो गई है, अपनी पूरी तैयारी के साथ वाहिनी मुख्यालय और बाढ़ आपदा में बचाव के लिए तैनात है इधर मॉनसून सीजन ने उत्तर प्रदेश में दस्तक दे दी है इस संदर्भ में एनडीआरएफ लगातार तमाम एजेंसियों के संपर्क में है और मॉनसून की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए रखे हैं।
वार्षिक प्रेसवार्ता में 11 NDRF के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने पत्रकार बन्धुओं को सम्बोधित कर पिछले सत्र के सभी सफ़ल ऑपरेशनो का ब्यौरा दिया तो वहीं भावी प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाओं में प्रदेश की सहायता एवं बचाव कार्य हेतु इस्तेमाल किये जाने वाले विभिन्न अत्याधुनिक यंत्रो की प्रदर्शनी लगा कर उनके इस्तेमाल की सम्पूर्ण विधि भी साझा की।
आपको बता दें कि 11 NDRF का गठन 15 सितंबर 2015 को हुआ था, जिसका वाहिनी मुख्यालय गौतम बुध भवन चौकाघाट वाराणसी में स्थापित किया गया। 11 NDRF वाराणसी को उत्तर प्रदेश के 57 जिलों और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में आपदा प्रबंधन और राहत बचाव कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। 11 NDRF वाहिनी के राहत बचाव कार्य सहज और सुचारू रूप से हो सकें, उसके लिए लखनऊ, गोरखपुर और भोपाल में क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की गई। जहां से NDRF उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अपने कार्य क्षेत्र में प्रभावी तरीके से आपदा बचाव के कार्य की जिम्मेदारियां निभा सकें। वाहिनी में कुल 18 टीमें हैं जो हर प्रकार की प्राकृतिक और मानव जनित आपदा से निपटने के लिए सक्षम हैं।
बाढ़ में फंसे लोग, सड़क दुर्घटना में फंसे वाहन एवं व्यक्ति, भूकम्प आदि से भवन के गिरने व उनमे फसे व्यक्तियों, बोरवेल, कुएं में फसे बच्चों को सकुशल निकलने समेत कई आपदाओं में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके NDRF की टीम कैसे बचाव कार्यों को अंजाम देती है या आगे देगी इस विषय में झांकी के माध्यम से समस्त जानकारी भी दी गई।
कोरोना महामारीं के मद्देनजर एक विशेष मास्क भी NDRF की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसका उपयोग कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के समय बचाव कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है, साथ ही साथ कमांडेंट शर्मा ने यह भी बताया कि 11NDRF की समस्त टीम ने कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज़ ले ली है और कोरोना से बचाव के हर विधि का पूरी सतर्कता से पालन करतें हैं।