वाराणसी। उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा, वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान ने शुक्रवार को सारनाथ की स्थिति मान्यवर कांशी राम जी सिल्क एक्सचेंज परिसर में कर्नाटक सिल्क मार्केटिंग बोर्ड लिमिटेड के सिल्क विक्रय शाखा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मौके पर बुनकरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रेशम का धागा अब बुनकरों को सीधे और आसानी से मिल सकेगा। बिचौलियों का हस्तक्षेप समाप्त हो गया है। इस सिल्क विक्रय शाखा के माध्यम से बुनकरों को गुणवत्तापरक रेशम का धागा उचित मूल्य पर प्राप्त होगा।
मंत्री राकेश सचान ने बताया कि वर्तमान में उ0प्र0 में 44 जनपदों (मुख्यतः तराई क्षेत्र) में शहतूती रेशम तथा विन्ध्य एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 13 जनपदों में टसर रेशम व यमुना के किनारे 8 जनपदों में एरी रेशम का उत्पादन किया जा रहा है। वर्ष 2001 में उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद उ0प्र0 में 22मी0टन रेशम का उत्पादन हो रहा था, जो अब वर्ष 2021-22 में बढ़कर 350 मी0टन का उत्पादन हो गया है।वाराणसी में सिल्क एक्सचेंज की स्थापना वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत एवं केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा रॉ-मैटेरियल बैंक के रुप
मे सारंग तालाब, वाराणसी में की गयी है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में अनुमानित लगभग 3000 मी० टन रेशम धागे से वाराणसी, आजमगढ़ के बुनकरों द्वारा रेशमी परिधानो का निर्माण कर वाराणसी एवं
अन्य प्रदेशों में बिक्री कर आय प्राप्त की जा रही है।
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एन०एच०डी०सी०), भारत सरकार द्वारा 10 प्रतिशत अनुदान पर रेशम धागे की आपूर्ति की जाती थी, जिसका एक डिपो प्रादेशिक को-ऑपरेटिव सेरीकल्चर फेडरेशन लि० के माध्यम से सिल्क एक्सचेंज, वाराणसी में आरंभ किया गया, जिसे वर्ष 2010 से 2016-17 तक संचालित किया गया। एन.एच.डी.सी. के डिपो से प्रति बुनकर माह में 04 किग्रा रेशम धागे की आपूर्ति 10 प्रतिशत अनुदान पर की जाती थी, एन०एच०डी०सी० द्वारा संचालित
योजनाओं के नियम परिवर्तन होने के बाद अब कुल मांग का मात्र 01 प्रतिशत धागा एन०एच०डी०सी० के माध्यम से बुनकरों को उपलब्ध हो पा रहा है, शेष धागा ट्रेडर्स के माध्यम से बुनकरों को उपलब्ध हो पा रहा है।
मार्केट में बुनकरों को बिचौलियों के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है, जो उनकों महंगे दर पर धागा उपलब्ध कराते है तथा सस्ते दर पर उनका उत्पाद क्रय कर बीच में ज्यादा आय स्वंय बिचौलियों द्वारा प्राप्त की जाती है।समस्याओं के समाधान हेतु बुनकरों को उचित दर पर रेशम धागा उपलब्ध कराने एवं सिल्क यूजर्स (ग्राहकों) को सस्ते एवं शुद्धता के साथ सिल्क उत्पाद उपलब्ध कराने हेतु सिल्क एक्सचेंज वाराणसी में ओडीओपी के
इन्टीग्रेटेड सिल्क काम्प्लेक्स की स्थापना कर बुनकरों के उत्पाद को प्रदर्शित एवं विक्रय करने हेतु काम्प्लेक्स निर्माण, सिल्क टेस्टिंग लैब की सुविधाओं के साथ अन्य
प्रदेशों के सिल्क धागा विक्रय केन्द्र की स्थापना का प्रस्ताव सिल्क एक्सचेंज वाराणसी में किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। जल्दी ही सिल्क एक्सचेंज का
संचालन पुनः प्रारम्भ हो जायेगा, जिससे बुनकरों को अच्छी गुणवत्तायुक्त रेशम धागा उचित मूल्य पर बुनकरों को उपलब्ध कराना, प्रदेश के धागा उत्पादकों का धागा उचित मूल्य पर विक्रय की व्यवस्था करना, प्रदेश के बुनकरों की मांग के अनुरूप प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों से धागे की आपूर्ति तथा प्रदेश में बुनकरों द्वारा तैयार परिधानों के विक्रय हेतु स्टॉल/दुकान की सुविधाओं उपलब्ध कराना, रेशम धागे एंव उत्पादों की गुणवत्ता हेतु सिल्क टेस्टिंग की सुविधाएं उपलब्ध होगी। केन्द्र की स्थापना हो जाने से बुनकरों को उचित दर पर
धागा उपलब्धता के साथ-साथ उनके उत्पाद को प्रदर्शित एवं विक्रय करने हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध हो जाने से बुनकरों, केताओं को शुद्ध उत्पाद के साथ
बुनकरों से सीधे वस्त्र/उत्पाद प्राप्त होने से दोनों को लाभ प्राप्त होगा तथा एक स्थान पर समस्त सुविधायें उपलब्ध हो जाने पर धागा विक्रय एवं निर्मित वस्त्र/परिधानों का विक्रय वाराणसी में होने पर सिल्क एक्सचेंज के माध्यम क्रय-विक्रय प्रारम्भ हो जायेगा।उन्होंने कहा कि वाराणसी में बुनकरों को समय से धागा उनकी मांग के अनुसार प्राप्त हो सके, उसके लिए आज उत्तर प्रदेश सरकार के रेशम विभाग एवं कर्नाटक सरकार के रेशम विभाग के उपक्रम कर्नाटका सिल्क मार्केटिंग बोर्ड (के.एस.एम.बी.) के संयुक्त प्रयास से सिल्क एक्सचेंज, वाराणसी के परिसर में धागा विक्रय केन्द्र खोला जा रहा है, जिससे बुनकरों की मांग के अनुसार धागे की आपूर्ति होगी एवं रेशम वस्त्र उत्पादन से रोजगार के साथ आय में वृद्धि होगी। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि कर्नाटका सरकार के कर्नाटक
सिल्क मार्केटिंग बोर्ड का विक्रय केन्द्र खुल जाने से बुनकरों को उनकी मांग के अनुसार धागे की उपलब्धता होगी तथा बुनकरों द्वारा तैयार किये जाने परिधानों के विक्रय से जनमानस को शुद्ध परिधान प्राप्त होंगे। मंत्री राकेश सचान ने उत्तर प्रदेश में रेशम का उत्पादन बढ़ाए जाने पर विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि 4000 से 4500 मेट्रिक टन की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए विभाग को प्रयास करना होगा। वर्तमान में 350 मेट्रिक टन यानी 10 फ़ीसदी ही पैदा हो रहा है। उन्होंने कहां कि इसके लिए रेशम किसानों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। रेशम उत्पादन पर मौसम का असर नहीं होता है। केवल उचित प्रशिक्षण की जरूरत है। किसानों को रेशम खेती में जितना आए हो सकता है, उतना दूसरे अन्य खेती से नहीं हो सकता। मंत्री राकेश सचान ने कहा कि रेशम किसानों को प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कर्नाटक भी भेजेगी। ताकि वहाँ के लोग रेशम की खेती कैसे करते हैं, यहां के लोग देख सके।
कर्नाटक के मंत्री रेशम, खेल एवं युवा सशक्तिकरण डॉ0 नारायण गौड़ा ने आवश्वस्त किया कि बुनकरो को सस्ते दर पर रेशम धागा उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि डुप्लीकेट रेशम धागों को ओरिजिनल कह कर बुनकरों को देना गलत है। डुप्लीकेट है, तो डुप्लीकेट नहीं बताएं।
उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने कहां कि एक समय था जब भारतीय बाजार में चाइना का रेशम छाया रहा। किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकल फॉर वोकल की घोषणा के पश्चात भारतीय रेशम ने अब रफ्तार पकड़ी है। उन्होंने रेशम सिल्क एक्सचेन्ज को इस स्तर तक विकसित करने पर बल दिया कि रेशम से
बुनाई एवं उत्पाद को प्रदर्शित करते हुए विक्रय की भी यहाँ व्यवस्था कराई जाय तथा बनारसी साड़ी की गरिमा बनाये रखने के लिए शुद्ध बनारसी साड़ी के उत्पादन हेतु बुनकर भाईयों का आवाहन किया।
इससे पूर्व मंत्रीत्रय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुरुआत की। तत्पश्चात उन्होंने परिसर में वृक्षारोपण किया रेशम उत्पाद से संबंधित लगे स्टाल का अवलोकन भी किया।
कार्यक्रम में चेयरमैन कर्नाटका सिल्क मार्केटिंग बोर्ड बी०सी० नारायन स्वामी, विशेष सचिव एवं निदेशक (रेशम) उत्तर प्रदेश सरकार कृष्ण कुमार, केएसएमबी की एमडी डा०अनुराधा के अलावा बड़ी संख्या में बुनकरो की उपस्थिति रही। जिसमें मकबूल हसन, अमरेश कुशवाहा, अमरनाथ मौर्य, बाबूभाई एवं मूबारकपुर से आधुनिक बुनकर समिति के इफ्तखार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नागेन्द्र राम, सहायक निदेशक (रेशम) का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन आर०एल० मौर्य, सहायक निदेशक (रेशम) एस०पी०सिंह, उपनिदेशक (रेशम), रेशम निदेशालय उ०प्र०, लखनऊ द्वारा किया गया है।