वाराणसी। भगवान भास्कर के उत्तरायण पर्व मकर संक्रांति इस वर्ष तिथियों के फेर-बदल के कारण 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाई गयी। धर्मशास्त्र के अनुसार उदया तिथि 15 जनवरी को होने के कारण मकर संक्रांति का धर्म शास्त्रीय मान्य आज यानी शनिवार को है और आज के ही दिन स्नानदान का महत्व भी है। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए मकर संक्रांति मनाई जाती है। लोक मानस के अनुसार 14 से ही स्नानार्थियों की भीड़ गंगा घाटों पर लगने लगी थी। कुछ स्नानार्थियों ने मान्यतानुसार 14 जनवरी को ही गंगा स्नान किया। लेकिन तिथि अनुसार 15 को घाटों पर स्नानार्थियों का जमावड़ा लगा रहा।
ऐसा कहा जाता है कि विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करने से सभी मनोरथों की पूर्ति होती है। इसी दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते है। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। इसी दिन गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कमिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुभ होता है। इसी दिन से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते है, और इसी के साथ गर्मी की शुरूआत हो जाती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 14 जनवरी दिन शुक्रवार की रात 08:49 बजे सूर्य मकर राशि में किया। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12:49 बजे तक रही। इस स्थिति में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गयी।