वाराणसी न्यूज डेस्क: काशी में 1000 एकड़ के विशाल क्षेत्र में सनातन विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा आध्यात्मिक गुरु ऋतेश्वर महाराज ने की है। इस विश्वविद्यालय में गुरुकुल शैली में वेद, शास्त्र, पुराण, योग, आयुर्वेद, वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का अध्ययन होगा। साथ ही, उन्होंने सनातन परंपराओं के अध्ययन के लिए एक अलग बोर्ड के गठन की मांग दोहराई है, जैसे कि देश में अलग-अलग पाठ्यक्रम बोर्ड हैं।
आध्यात्मिक गुरु ऋतेश्वर महाराज ने काशी में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें 1000 एकड़ के क्षेत्र में सनातन विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। इस विश्वविद्यालय में गुरुकुल परंपरा के तहत वेद, पुराण, आयुर्वेद, वेद विज्ञान, योग और आधुनिक विज्ञान का अध्ययन होगा। ऋतेश्वर महाराज का मानना है कि गुरुकुल परंपरा में समाज को उन्नति के मार्ग पर ले जाने की क्षमता है। विश्वविद्यालय में पठन-पाठन के अलावा संयमित दिनचर्या, महापुरुषों का योगदान, और अच्छा स्वास्थ्य देखभाल पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि विद्यार्थियों के भविष्य को सफल बनाया जा सके।
आध्यात्मिक गुरु ऋतेश्वर महाराज ने सरकार से मांग की है कि भारतीय परंपरा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने और प्रसारित करने के लिए सनातन बोर्ड का गठन किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि वाराणसी में शुरू होने वाले सनातन विश्वविद्यालय में मैकाले पद्धति के अनुसार नहीं, बल्कि गुरुकुल पद्धति से पढ़ाई होगी। उन्होंने मैकाले पद्धति को गुलामी की याद दिलाने वाला बताया है।
आध्यात्मिक गुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा है कि विश्व के अलग-अलग देशों में होने वाले संघर्ष हमें विचलित करते हैं, लेकिन भारत ने हमेशा से ही विश्व को शांति का मार्ग दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भी भारत में दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है और संघर्षों से मुक्ति दिलाकर शांति का मार्ग दिखाने की ताकत है। उन्होंने कहा कि यह संकल्प तब साकार होगा जब सनातन विश्वविद्यालय जैसी संस्था काशी में खुलेगी और विश्व की सबसे प्राचीन नगरी में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।
आध्यात्मिक गुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा है कि सनातन विश्वविद्यालय में युवाओं को महापुरुषों जैसे स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप आदि के बारे में शिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, सनातन संस्कृति और परंपराओं के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को भारत के महापुरुषों के नाम पर सड़कों और भवनों का नाम रखना चाहिए, ताकि उनकी विरासत और योगदान को सम्मानित किया जा सके।