पूर्णेश भागवत ने राग विहाग में विलंबित एक ताल एवं द्रुत लय तीन ताल में गाकर सुनाया
वाराणसी, 04 मई। कोरोना संकट काल में श्रीसंकट मोचन दरबार में मंगलवार की शाम गायन-वादन और नृत्य का अद्भुत नजारा दिखा। अवसर रहा श्रीसंकट मोचन संगीत समारोह के चौथी निशा का। डिजिटल माध्यम से संकटमोचन दरबार में कलाकारों ने अपनी जीवंत प्रस्तुति देकर संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया।
दरबार में शुरूआत गायन की प्रस्तुति से हुई। शहर से ही पूर्णेश भागवत गायन की प्रस्तुति के लिए वर्चुअल जुड़े। पद्मश्री पंडित उल्हास कशालकर के शिष्य पूर्णेश ने राग विहाग में विलंबित एक ताल एवं द्रुत लय तीनताल में गाकर सुनाया।
पहली प्रस्तुति में तबला पर संगत सागर गुजराती एवं हारमोनियम जमुना वल्लभ दास गुजराती ने किया। इस दौरान फेसबुक के कमेंट बॉक्स में श्रोता खुशी जता अपनी प्रतिक्रिया देते रहे। कार्यक्रम में अगली प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्य की रही। जानी मानी कलाकार वनजा उदय ने हैदराबाद से वर्चुअल जुड़ी और लयबद्ध प्रस्तुति देकर संगीत रसिकों का दिल जीत लिया।
समारोह में कोरोना संक्रमित महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने वर्चुवल कलाकारों का स्वागत कर आशीर्वाद दिया और उनका जमकर उत्साह बढ़ाया। बीमार होने के बावजूद प्रो. मिश्र पूरे समय कलाकारों का उत्साहवर्धन कर रहे है। उन्होंने बताया कि इस बात की निश्चिंतता है कि समारोह में हमने परंपरा को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए ऑनलाइन संगीत समारोह का नया मार्ग चुना है। मन्दिर और संगीत से आस्था रखने वाले हमारे सुधि श्रोताओं में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है। यह अलग बात है कि मंदिर परिसर में शारीरिक रुप से हाजिरी बजाना कलाकारों और श्रोताओं के लिए अलग अनुभूति कराता है, मगर ऐसे माहौल में श्रोता घर बैठे संगीत के माध्यम से मानसिक साधना कर रहे है। हमारी तकनीकी टीम में शामिल अंकित श्रीवास्तव, अनुराग और हर्षित श्याम जायसवाल लगातार श्रोताओं को आमंत्रित भी कर रहे है और उनके संपर्क में है। उन्होंने बताया कि समारोह की तीसरी निशा में 345817 लोगों ने पेज से जुड़कर कार्यक्रम को देखा है।