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भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत की सजा की अपील पर सिंगापुर में 24 जनवरी को होगी सुनवाई

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Posted On:Monday, January 17, 2022

Singapore, 17 Jan (News Helpline)     भारत में कई तरह के जुर्म के लिए बहुत कम ही सख्त कानून देखने मिलते हैं, लेकिन कई दूसरे देशों के मामलों में ऐसा नहीं है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, एक मीडिया रिपोर्ट की जिसके मुताबिक, भारतीय मूल के ड्रग तस्कर नागेंथ्रन के. धर्मलिंगम की फांसी के खिलाफ अपील पर सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों का पैनल के सामने इस 24 जनवरी को सुनवाई होने वाली है. 
 
भारतीय मूल और मलेशियाई नागरिकता वाले 33 वर्षीय नागेंथ्रन, ने मौत की सजा को चुनौती देने के लिए न्यायिक समीक्षा कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए आगे कदम उठाया है.
 
द स्ट्रेट्स टाइम्स ने शुक्रवार को बताया कि अपील पर मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन और जस्टिस एंड्रयू फांग, जूडिथ प्रकाश, बेलिंडा एंग और चाओ हिक टिन वाले पैनल द्वारा सुनवाई की जानी है.
 
वकील एम. रवि द्वारा नागेंथ्रन मामले का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा गया है कि नशीली दवाओं के तस्कर के रूप में माने जाने इस शख्स की दिमागी हालत ठीक नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने अदालत से मनोचिकित्सकों के एक पैनल द्वारा उनका आकलन करने के लिए भी कहा है.
 
नागेंथ्रन को साल 2009 में जांघ में बंधी हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उन्हें 2010 में 42.72 ग्राम हेरोइन की तस्करी का दोषी ठहराया गया था और मौत की सजा सुनाई गई थी, जो तब अनिवार्य थी.
 
अखबार ने कहा कि उनकी सजा के खिलाफ अपील को 2011 में खारिज कर दिया गया था.
 
वैकल्पिक सजा की अनुमति देने के लिए कानून में बदलाव के बाद 2015 में, उन्होंने फिर से आजीवन कारावास की सजा के लिए आवेदन किया.  हालांकि, उच्च न्यायालय ने चार मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों की राय पर विचार करने के बाद 2017 में उनकी मौत की सजा को बरकरार रखी. 
 
पिछले साल, नागेंथ्रन ने 10 नवंबर को अपने मौत की सजा को चुनौती देने के लिए 11 वी बार प्रयास किया - फिर से मानसिक अक्षमता की दलील दी. हालांकि, 9 नवंबर को अपनी अपील के दिन, नागेंथ्रन ने कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट किया.  इसके बाद तीन जजों के पैनल ने उनकी फांसी पर रोक लगा दिया था.
 
इस बीच के समय में, उनके वकील रवि - जो भारतीय मूल के भी थे - को बाइपोलर  डिसऑर्डर का पता चलने के बाद सुनवाई में और देरी हुई.


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