मुंबई, 01 दिसम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने 2,929.05 करोड़ रुपए के कथित वित्तीय हेराफेरी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पहले अनिल अंबानी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसमें उन्होंने SBI से अपने खातों पर ‘फ्रॉड’ टैग हटाने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी और खातों को फ्रॉड घोषित करने का निर्णय बरकरार रखा। अब इसी फैसले के खिलाफ अंबानी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। याचिका अभी सूचीबद्ध नहीं हुई है। अनिल अंबानी ने अपनी याचिका में दावा किया कि SBI ने उनके खातों को फ्रॉड घोषित करने से पहले उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं दिया। उनका कहना है कि बैंक ने बिना उचित प्रक्रिया अपनाए उनके खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया। यह मामला SBI द्वारा रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए लोन के दुरुपयोग और गलत उपयोग से जुड़ा है। इस संदर्भ में CBI ने जांच शुरू की और अंबानी से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी भी की।
SBI, CBI और ED का केस का विस्तार
SBI ने आरोप लगाया कि RCom ने बैंक से लिए गए 31,580 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया। इसमें से लगभग 13,667 करोड़ रुपए अन्य कंपनियों के लोन चुकाने में और 12,692 करोड़ रुपए रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों को ट्रांसफर किए गए। बैंक का कहना है कि लोन के पैसे का सही उपयोग नहीं हुआ और नियमों का पालन नहीं किया गया। CBI ने यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस को दिए गए लोन मामलों में FIR दर्ज की थी। इन मामलों में यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर का नाम भी शामिल है। नेशनल हाउसिंग बैंक, SEBI, NFRA और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं ने भी ED के साथ जानकारी साझा की।
ED की जांच में यह सामने आया कि यह मामला सोचा-समझा और सुनियोजित था। इसमें बैंकों, निवेशकों और अन्य संस्थाओं को गुमराह कर पैसे हड़पने की योजना बनाई गई थी। जांच में कई गड़बड़ियां सामने आईं, जिनमें शामिल हैं:
- बिना पर्याप्त वेरिफिकेशन के लोन देना
- कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल
- लोन से जुड़े आवश्यक दस्तावेजों का अभाव
- फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना
- पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन का इस्तेमाल (लोन एवरग्रीनिंग)
SBI ने इसके अलावा अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के खिलाफ पर्सनल दिवालियापन की प्रक्रिया भी NCLT मुंबई में शुरू कर दी है।
अनिल अंबानी की दलीलें और सुप्रीम कोर्ट की याचिका
अनिल अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि उन्हें SBI द्वारा फ्रॉड घोषित करने से पहले उचित सुनवाई का अवसर नहीं मिला। उनका यह भी कहना है कि बैंक ने उनके खातों को फ्रॉड टैग देने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अब अनिल अंबानी कोर्ट से यह मांग कर रहे हैं कि बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया जाए और उनके खातों से फ्रॉड टैग हटाया जाए।
बाजार और निवेशकों पर असर
इस मामले की खबर से भारतीय वित्तीय और शेयर बाजार पर भी असर पड़ा है। रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े लोन विवाद और वित्तीय हेराफेरी के आरोप निवेशकों की चिंता का कारण बने हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों से विदेशी निवेशकों (FPIs) का विश्वास प्रभावित होता है, जिससे शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
मुख्य जानकारी -
| श्रेणी |
मुख्य जानकारी |
| मामला |
अनिल अंबानी और RCom पर 2,929.05 करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप |
| कोर्ट प्रक्रिया |
बॉम्बे हाई कोर्ट ने SBI का फ्रॉड निर्णय बरकरार रखा; सुप्रीम कोर्ट में याचिका |
| SBI का आरोप |
31,580 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल; अन्य कंपनियों को ट्रांसफर और पुराने लोन चुकाने में खर्च |
| CBI की भूमिका |
FIR दर्ज, संपत्तियों पर छापेमारी; यस बैंक लोन से संबंधित जांच |
| ED की रिपोर्ट |
सुनियोजित योजना; दस्तावेज़ अभाव, फर्जी ट्रांसफर, लोन एवरग्रीनिंग जैसी गड़बड़ियां |
| NCLT स्थिति |
अनिल अंबानी के खिलाफ पर्सनल दिवालियापन की कार्रवाई चल रही |
| सुप्रीम कोर्ट याचिका |
निष्पक्ष सुनवाई का आरोप; हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती |