भारत का आम बजट केवल सरकारी आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं होता, बल्कि करोड़ों मध्यमवर्गीय परिवारों की उम्मीदों का आईना होता है। बजट 2026 की आहट के साथ ही टैक्सपेयर्स के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या इस बार 'पुरानी कर व्यवस्था' (Old Tax Regime) को नई ऑक्सीजन मिलेगी? वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 72% करदाताओं ने नई व्यवस्था को अपनाया है, लेकिन शेष 28% वे लोग हैं जो बचत और निवेश के जरिए अपना भविष्य सुरक्षित कर रहे हैं। उनके लिए महंगाई के इस दौर में टैक्स छूट की मौजूदा सीमाएं अब अप्रासंगिक होती जा रही हैं।
1. सेक्शन 80C: एक दशक से अटकी सीमा
आयकर अधिनियम की धारा 80C वह 'लक्ष्मण रेखा' है जिसके भीतर आम आदमी अपनी बचत को टैक्स-फ्री रखने की कोशिश करता है। विडंबना यह है कि 1.5 लाख रुपये की यह सीमा साल 2014 से नहीं बदली गई है।
पिछले 10 सालों में दूध से लेकर प्रॉपर्टी तक सब कुछ दोगुना-तिगुना महंगा हो गया है। जानकारों का कहना है कि यदि सरकार इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये नहीं करती है, तो लोगों के पास निवेश योग्य सरप्लस कम हो जाएगा। इससे न केवल व्यक्तिगत बचत पर असर पड़ेगा, बल्कि बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय बाजारों में लिक्विडिटी भी कम होगी।
2. होम लोन: 'सपनों के घर' पर ब्याज का बोझ
आज के दौर में महानगरों में एक छोटा फ्लैट भी 50-60 लाख रुपये से शुरू होता है, जिसके लिए होम लोन की ईएमआई का एक बड़ा हिस्सा ब्याज (Interest) में जाता है। वर्तमान में, सेक्शन 24(b) के तहत ब्याज पर मिलने वाली छूट केवल 2 लाख रुपये है।
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ईएमआई का गणित: ऊंची ब्याज दरों के कारण, अधिकांश होम लोन लेने वाले साल में 3 से 4 लाख रुपये तक केवल ब्याज चुका रहे हैं।
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उम्मीद: मध्यम वर्ग की मांग है कि इस सीमा को बढ़ाकर कम से कम 3 लाख रुपये किया जाए। यदि सरकार रेंटल हाउसिंग और मिड-सेगमेंट हाउसिंग को बढ़ावा देना चाहती है, तो यह छूट नई टैक्स व्यवस्था में भी शामिल की जानी चाहिए।
3. हेल्थ इंश्योरेंस: मेडिकल महंगाई और 80D
कोरोना महामारी के बाद चिकित्सा खर्चों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली 25,000 रुपये (स्वयं और परिवार) और 50,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिक माता-पिता) की सीमा अब पर्याप्त नहीं रह गई है।
एक अच्छे फैमिली फ्लोटर प्लान का प्रीमियम ही आज 30,000 रुपये के पार जा रहा है। ऐसे में बजट 2026 से उम्मीद है कि सरकार इस सीमा को बढ़ाकर हेल्थ इंश्योरेंस को और अधिक किफायती बनाएगी ताकि आपात स्थिति में लोगों की जमा पूंजी सुरक्षित रहे।
4. सुरक्षित बुढ़ापा और एनपीएस (NPS)
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सेक्शन 80CCD (1B) के तहत मिलने वाली 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट भी अब पुरानी पड़ चुकी है। विशेषज्ञ इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की वकालत कर रहे हैं। इससे लोग पेंशन योजनाओं में अधिक निवेश के लिए प्रेरित होंगे, जो अंततः देश के 'सोशल सिक्योरिटी नेट' को मजबूत करेगा।
निष्कर्ष: क्या मध्यम वर्ग को मिलेगी 'संजीवनी'?
सरकार का झुकाव निश्चित रूप से 'नई कर व्यवस्था' को लोकप्रिय बनाने की ओर है, लेकिन 'पुरानी व्यवस्था' भारत में बचत की संस्कृति को बनाए रखने का आधार है। बजट 2026 में यदि इन कटौतियों की सीमाओं पर जमी धूल हटाई जाती है, तो यह 'विकसित भारत' की ओर बढ़ते कदम में मध्यम वर्ग की भागीदारी को और अधिक सशक्त बनाएगा।