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Maharashtra Politics : महाराष्‍ट्र लोकल बॉडी चुनाव में खेला ही खेला, महायुति में भी फूट, BJP के ऐलान से हलचल

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Posted On:Wednesday, December 31, 2025

महाराष्ट्र में 15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों ने राज्य की राजनीति में उबाल ला दिया है। विशेष रूप से मुंबई (BMC) और लातूर (LMC) में बदलते समीकरणों ने महायुति और महाविकास अघाड़ी (MVA) दोनों ही खेमों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। जोड़-तोड़, गठबंधन टूटने और दलबदल के इस खेल ने चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय और बेहद दिलचस्प बना दिया है।

बीएमसी चुनाव: एनसीपी (शरद पवार) के लिए बड़ा संकट

देश के सबसे अमीर नगर निगम, बीएमसी के चुनाव से ठीक पहले शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) गहरे अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। पार्टी के भीतर मचे घमासान और लगातार हो रहे इस्तीफों ने संगठन की नींव हिला दी है। पुणे के बाद अब मुंबई में भी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है।

मुंबई अध्यक्ष राखी जाधव का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए सबसे बड़ा नुकसान माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, जाधव महाविकास अघाड़ी के भीतर सीट बंटवारे को लेकर नाराज थीं। शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच होने वाले गठबंधन में एनसीपी (एसपी) को मात्र 5 से 10 सीटें मिलने की संभावना थी, जबकि पार्टी 30 सीटों की मांग कर रही थी। राखी जाधव से पहले भी धनंजय पिसाल और मनीष दुबे जैसे कई कद्दावर नेता अजित पवार गुट में शामिल हो चुके हैं। पार्टी द्वारा जारी मात्र 7 उम्मीदवारों की पहली सूची यह दर्शाती है कि मुंबई के चुनावी रण में शरद पवार की सेना फिलहाल बैकफुट पर है।

लातूर में बीजेपी का 'एकला चलो रे' का नारा

लातूर नगर निगम चुनाव में महायुति के भीतर दरार साफ नजर आने लगी है। बीजेपी ने सभी 70 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जिससे एनसीपी (अजित पवार) और अन्य घटक दल मुश्किल में पड़ गए हैं।

बीजेपी के जिला प्रभारी संभाजीराओ पाटील निलंगेकर ने गठबंधन टूटने की पुष्टि करते हुए कहा कि शीर्ष स्तर पर बातचीत सकारात्मक थी, लेकिन स्थानीय स्तर के पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के कारण समझौता नहीं हो सका। बीजेपी का यह फैसला दर्शाता है कि पार्टी अब क्षेत्रीय निकायों में अपनी स्वतंत्र ताकत आजमाना चाहती है और किसी भी छोटे दल के दबाव में झुकने को तैयार नहीं है।

गठबंधनों की नई तस्वीर

बीएमसी चुनाव का मुकाबला अब मुख्य रूप से दो बड़े गुटों के बीच सिमटता दिख रहा है:

  1. बीजेपी और शिवसेना (शिंदे): इन दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। बीजेपी 128 और शिवसेना 79 सीटों पर ताल ठोक रही है। बीजेपी की पहली सूची में अनुभव और नए चेहरों का मिश्रण देखने को मिला है।

  2. शिवसेना (यूबीटी) और मनसे: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच हुआ यह गठबंधन 'मराठी मानुस' के वोटों को एकजुट करने की कोशिश है। शिवसेना (यूबीटी) ने अब तक 90 उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है।

15 जनवरी: अग्निपरीक्षा का दिन

मुंबई के अलावा महाराष्ट्र की अन्य 28 नगर निगमों में भी 15 जनवरी को मतदान होना है। 16 जनवरी को आने वाले नतीजे न केवल स्थानीय निकाय की सत्ता तय करेंगे, बल्कि राज्य की मुख्य राजनीति में किस नेता और किस पार्टी का पलड़ा भारी है, इसका भी फैसला करेंगे।

एनसीपी (एसपी) के लिए जहां यह चुनाव अपनी खोई जमीन बचाने की चुनौती है, वहीं बीजेपी के लिए यह अपनी सांगठनिक श्रेष्ठता सिद्ध करने का अवसर है। दलबदल और गठबंधन के इस दौर में मतदाता किस पर भरोसा जताते हैं, यह देखना काफी रोमांचक होगा।


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