नई दिल्ली, 12 अप्रैल। कोरोना संक्रमण के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की आशंकाओं के बीच कृषि क्षेत्र से अच्छी खबर आ रही है। कोरोना संकट के बावजूद देश में खरीफ फसल की बुवाई तेजी पर है। दावा किया जा रहा है कि खरीफ फसल की बुवाई का रकबा पिछले साल की तुलना में 16.4 फीसदी बढ़ चुका है।
कृषि मंत्रालय से मिली जानकारियों के अनुसार पिछले साल अच्छी बारिश होने की वजह से इस बार जमीन में नमी मौजूद है। फसलों की बुवाई और उनके पोषण के लिए ये बहुत बेहतर स्थिति है। पिछले 10 साल के औसत की तुलना में इस बार देश के जलाशय 21 फीसदी तक अधिक भरे हुए हैं। इसके आधार पर मंत्रालय के साथ ही कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ भी देश में खरीफ फसल की बंपर उपज होने की संभावना जता रहे हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल दालों का रकबा 51 फीसदी तक बढ़ गया है। इस बार दाल की बुवाई 8.68 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि धान की बुवाई का रकबा 7.6 फीसदी बढ़कर 38.80 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सरकार किसानों को खरीफ फसल की बुवाई के लिए प्रेरित करना चाहती है, क्योंकि अब देश के कई इलाकों में सिंचाई की सुविधा मौजूद है। इस सुविधा के कारण देश में दालों और तिलहन की उपज बढ़ाने में मदद मिलेगी। ऐसा होने से न केवल किसानों की आय बढ़ सकेगी, बल्कि देश को दलहन और तिलहन का तुलनात्मक रूप से कम आयात करना पड़ेगा।
कुछ दिन पहले भी कृषि मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भी गर्मियों की फसल यानी खरीफ सीजन की बुवाई की प्रगति को बहुत अच्छा बताया गया था। बयान में कहा गया था कि इस बार के सीजन में रबी की फसल भी अच्छी रही है। देश में मार्च के अंत तक कुल लगभग 48 फीसदी रबी फसलों की कटाई हो चुकी है। ऐसे में किसान तेजी से गर्मियों की फसल की बुवाई का काम कर रहे हैं।
सरकार के आंकड़ों के हिसाब से गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खरीफ फसलों की बुवाई बेहतर तरीके से हो रही है। खरीफ फसलों की खेती में मक्का, बाजरा और रागी का रकबा पिछले साल की तुलना में 27 फीसदी बढ़ा है। इसके साथ ही तिलहन का रकबा भी बढ़कर 9.53 लाख हेक्टेयर हो गया है। रकबा बढ़ने से साफ है कि अगर कोई अनहोनी नहीं हुई तो इस साल इन फसलों से किसानों को अच्छी कमाई होगी।