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हैंड सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों टैक्स विभाग की नज़रो में

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Posted On:Friday, June 25, 2021

नई दिल्ली, 25 जून 2021

कोरोना काल में देश में हैंड सैनिटाइजर की मांग खूब बढ़ी और इन्हें बनाने वाली कंपनियों ने खूब कमाई की । लेकिन अब हैंड सैनिटाइजर और इससे जुड़ा कच्चा माल बनाने वाली कई कंपनियों पर टैक्स विभाग (Tax Department) की नजर आयी है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने आइटम्स को गलत कैटगरी में दिखाया और टैक्स नहीं भरा। सवाल यह है कि सैनिटाइजर को मेडिकामेंट माना जाए या डिसइंफेक्टेंट या कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स । मेडिकामेंट पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है जबकि डिसइंफेक्टेंट्स या कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है ।

जीएसटी फ्रेमवर्क के आधार पर मेडिकामेंट्स को मोटे रूप से दवाओं के श्रेणी में रखा गया है। इसमें ऐसी चीजों को रखा गया है जिसे मेडिसिन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या मेडिसिन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी ओर डिसइंफेक्टेंट्स, साबुन या लिक्विड है जिसे साबुन की तरह इस्तेमाल किया जाता है जो एक कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स है ।

फार्मा कंपनियों का कहना है कि सैनिटाइजर मेडिकामेंट्स है जबकि टैक्स अधिकारी इसे डिसइंफेक्टेंट्स मानते हैं।  इंन दिरेक्ट टैक्स विभाग की जांच शाखा डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) ने इस मामले में जांच शुरू की है और कुछ कंपनियों को नोटिस भी भेजा गया है।  इसमें डीजीजीआई ने कहा है कि मेडिकामेंट्स में इलाज के लिए मिक्स्ड या अनमिक्स्ड प्रॉडक्ट्स होते हैं।

हैंड सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों की दलील है कि यह कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में बहुत अहम है और इसलिए यह मेडिकामेंट्स की तरह ही है। इसलिए इस पर 12 फीसदी टैक्स लगना चाहिए। इस मामले में गुजरात की कुछ फार्मा कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट में जाने को कहा था ।


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