नई दिल्ली, 25th मई - आज कल देश के कई अख़बारों में एक विज्ञापन देकर यह दावा किया गया है कि, एक अमेरिकी रियल्टी कंपनी लैंडोमस रियल्टी (landomus realty) देश में नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) के तहत 500 अरब डालर का निवेश करना चाहती है।
लैंडोमस रियल्टी (landomus realty) नाम की इस कंपनी ने वास्तव में विज्ञापन में मोदी सरकार से देश में निवेश की परमिशन मांगी है। कोरोनावायरस संकट के इस दौर में जब देश-दुनिया में अर्थव्यवस्था की हालत खराब है, लोगों की नौकरियां जा रही हैं और देशों की जीडीपी (GDP) में कमजोरी दर्ज की जा रही है, इस तरह के निवेश की घोषणा से सोशल मीडिया पर तूफान मच गया है।
देश के कई अखबारों में विज्ञापन देने के बाद अब यह सवाल उठता हैं कि Landomus Realty जैसी कोई कंपनी 500 अरब डॉलर जैसी बड़ी रकम अगर भारत में निवेश करना चाहती है तो उसे अखबारों में विज्ञापन देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुमति लेने की क्या जरूरत है? रियल्टी कंपनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे बात क्यों नहीं कर सकती ?
लैंडोमस रियलिटी के बारे में पता करने पर Landomus Realty की वेबसाइट से यह जानकारी मिली है कि Landomus Realty का पेडअप कैपिटल बहुत कम है। 17 जुलाई 2015 को लैंडोमस रियल्टी (Landomus Realty) वेंचर्स की एक निजी कंपनी के रूप में स्थापना हुई है। यह बेंगलुरु में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) के पास रजिस्टर्ड है। कंपनी भारत में 500 अरब डॉलर का निवेश भले ही करना चाहती हो, लेकिन Landomus Realty का ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल सिर्फ ₹10,00,000 रुपये और पैड अप कैपिटल सिर्फ ₹1,00,000 है । हकीकत में लैंडोमस रियल्टी (landomus realty) की उपलब्ध जानकारी के हिसाब से उसका यह दावा जूठा जान पड़ता है।