भारतीय सेना के शौर्य पुरुष और शहीद कैप्टन तुषार महाजन के सम्मान में जम्मू-कश्मीर के उधमपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब ‘शहीद कैप्टन तुषार महाजन रेलवे स्टेशन’ (MCTM) कर दिया गया है। इस जानकारी को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा किया। उन्होंने बताया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है और जल्द ही रेलवे स्टेशन के टिकटिंग प्रोसेस में भी इस नाम का प्रयोग शुरू हो जाएगा। यह सम्मान कैप्टन तुषार महाजन की वीरता और देशभक्ति को सलाम है।
कौन थे कैप्टन तुषार महाजन?
कैप्टन तुषार महाजन जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के रहने वाले थे। वे भारतीय सेना के अधिकारी थे जिन्होंने 21 फरवरी 2016 को जम्मू-कश्मीर के पंपोर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में वीरगति प्राप्त की। उनकी बहादुरी और नेतृत्व के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। कैप्टन तुषार महाजन का जीवन और शहादत देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। प्रधानमंत्री मोदी सरकार द्वारा उनके नाम पर रेलवे स्टेशन का नामकरण उनकी याद को जीवित रखने का प्रयास है।
कैप्टन तुषार महाजन का पारिवारिक और शैक्षिक जीवन
कैप्टन तुषार महाजन का परिवार उधमपुर में ही रहता है। उनके पिता देव राज गुप्ता, जो रिटायर्ड प्रिंसिपल थे, और माता आशा गुप्ता हैं। उनका बड़ा भाई निखिल गुप्ता भी परिवार के साथ उधमपुर में रहता है। तुषार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लिटिल फ्लावर्स कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त की और 12वीं की पढ़ाई हैप्पी मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। जून 2006 में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खड़कवासला में दाखिला लिया।
सेना में कैरियर और उपलब्धियां
कैप्टन तुषार महाजन बचपन से ही सेना में अधिकारी बनने का सपना देखते थे। NDA में वे ‘अल्फा’ स्क्वाड्रन 116 के सक्रिय सदस्य थे। यहां उन्होंने क्रॉस-कंट्री दौड़ और बॉक्सिंग में चैम्पियनशिप हासिल की। उन्हें ‘डिविजनल कैडेट कैप्टन’ की जिम्मेदारी भी मिली। जून 2009 में NDA से स्नातक होकर वे इंडियन आर्मी एकेडमी (IMA), देहरादून में ट्रेनिंग लेने गए। 2010 में लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए और उसी साल उनका चयन 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज में हुआ, जो देश की सबसे खतरनाक और चुनिंदा सैन्य इकाइयों में से एक है।
वीरगति और शहादत
कैप्टन तुषार महाजन ने माता-पिता की इच्छा के विपरीत आर्मी जॉइन की। उनके पिता चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें, क्योंकि उनके बड़े भाई निखिल इंजीनियर हैं, लेकिन तुषार ने देश सेवा को प्राथमिकता दी। फरवरी 2016 में पंपोर के पास लश्कर-ए-तैयबा के सात आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में उन्होंने शहीद होने तक वीरता से लड़ाई लड़ी। उनकी शहादत ने पूरे देश को गौरवान्वित किया और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
कैप्टन तुषार महाजन के नाम पर रेलवे स्टेशन का नामकरण न केवल उनके परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह कदम हमारे शहीदों के सम्मान और उनके बलिदान को हमेशा याद रखने का प्रमाण है। प्रधानमंत्री मोदी और सरकार का यह निर्णय देशभक्ति और वीरता को समर्पित एक सुंदर श्रद्धांजलि है।