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भारत-इस्राइल राजनयिक संबंधों को हुए 30 वर्ष, प्रधानमंत्री ने संबंधों को आगे बढ़ाने पर दिया ज़ोर।

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Posted On:Monday, January 31, 2022

नई दिल्ली, 31 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन)     भारत-इस्राइल राजनयिक संबंधों की 30 वीं वर्षगांठ के मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक विशेष वीडियो संदेश द्वारा कहा कि भारत-इस्राइल संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग ने दोनों देशों की विकास कहानियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत और इस्राइल के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों के 30 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने कहा कि यह अवधि दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और इस्राइल के लोगों के बीच हमेशा एक खास रिश्ता रहा है।

हालांकि भारत ने 17 सितंबर, 1950 को इज़राइल को मान्यता दी थी लेकिन देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध 29 जनवरी, 1992 को स्थापित किए गए थे। तब से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुए हैं।

इस हफ्ते की शुरुआत में, भारत में इस्राइल के दूत नाओर गिलोन ने कहा था कि भारत-इस्राइल राजनयिक संबंधों की 30 वीं वर्षगांठ आगे देखने और अगले 30 वर्षों के संबंधों को आकार देने का एक अच्छा अवसर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा।
 
इस अवसर पर इज़राइल में भारत के राजदूत संजीव सिंगला ने कहा, "हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों की 30 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने पर गर्व है और इस विशेष मील का पत्थर मनाने के लिए पूरे वर्ष विशेष लोगो का उपयोग करने के लिए तत्पर हैं।"

इस बात पर जोर देते हुए कि "दोस्ती और विश्वास" न केवल सकारात्मक लक्षण हैं, बल्कि "वास्तविक संपत्ति" भी हैं, भारत और इस्राइल के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को एक इस्राइली दैनिक के लिए एक संयुक्त ऑप-एड में कहा था कि दोनों देशों ने मिलकर काम किया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके इस्राइली समकक्ष यायर लैपिड ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 30 साल पूरे होने पर इस्राइल हयोम के लिए संयुक्त रूप से "डीपेनिंग रूट्स" जैसे जुड़ाव के शब्दों का इस्तेमाल किया।

दूसरी ओर अमरीकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इस्राइल के साथ 2 बिलियन अमरीकी डालर के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में पेगासस स्पाइवेयर खरीदा जिसके बाद शनिवार को विपक्ष के साथ एक बड़ा विवाद शुरू हो गया जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार अवैध जासूसी में शामिल है जो "देशद्रोह" है।

कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएंगे।

हालांकि, पेगासस सॉफ्टवेयर से संबंधित मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के तहत एक समिति कर रही है जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर वी रवींद्रन कर रहे हैं और इसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।


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