नई दिल्ली, 28 अप्रैल । लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में उड़ान के दौरान ऑक्सीजन पैदा करने के लिए विकसित की गयी मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक अब देश को मौजूदा ऑक्सीजन संकट से उबारेगी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में यह एमओपी तकनीक उपयोगी होगी। इस तकनीक से एक मिनट में 1000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) पीएम केयर्स फंड से तीन माह के भीतर देशभर में 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाएगा।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक अब ऑक्सीजन के मौजूदा संकट से लड़ने में मदद करेगी। देशभर के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पड़ने से मरीज बेहाल हैं। यह ऑक्सीजन संयंत्र 1,000 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की क्षमता के लिए बनाया गया है। यह प्रणाली पांच एलपीएम की प्रवाह दर पर 190 रोगियों की जरूरत को पूरा कर सकती है और प्रतिदिन 195 सिलेंडरों की रिफलिंग की जा सकती है। इसलिए स्वदेशी लड़ाकू विमान एलसीए तेजस में ऑक्सीजन पैदा करने वाली यह तकनीक मेसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु और मेसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को सौंप दी गई है।
डीआरडीओ ने मेसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु को 332 और मेसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को 48 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट की आपूर्ति के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही 380 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री केयर्स फंड के तहत प्रति माह 125 संयंत्र के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इस तरह उम्मीद की जा रही है कि तीन महीनों के भीतर 500 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जाएंगे। दोनों फर्म देश के विभिन्न अस्पतालों में 380 संयंत्र लगाएंगी। सीएसआईआर से संबंधित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के साथ काम करने वाले उद्योग 500 एलपीएम क्षमता के 120 संयंत्र लगाएंगे।
डीआरडीओ के प्रवक्ता ने बताया कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और अस्पतालों में ऑक्सीजन एक बहुत महत्वपूर्ण क्लीनिकल गैस है। मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक 93±3 प्रतिशत सांद्रता के साथ ऑक्सीजन उत्पन्न करने में सक्षम है जिसकी सीधे अस्पताल के बेड पर आपूर्ति की जा सकती है या इसका उपयोग मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर भरने के लिए किया जा सकता है। यह वायुमंडलीय वायु से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्प्शन (पीएसए) तकनीक और मोलेकुलर सिएव (जोलाइट) तकनीक का उपयोग करता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रदान करने के लिए एमओपी तकनीक उपयोगी होगी। अस्पताल दूसरी जगहों से ऑक्सीजन मंगाने के बजाय अपने परिसर में ही मेडिकल ऑक्सीजन पैदा करने में सक्षम होंगे।
इस संयंत्र की स्थापना विशेष रूप से ऊंचाई वाले और दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों में दुर्लभ ऑक्सीजन सिलेंडर पर अस्पताल की निर्भरता से बचने में मदद करती है। पूर्वोत्तर और लेह-लद्दाख क्षेत्र में सेना के कुछ स्थलों पर एमओपी पहले ही स्थापित किया जा चुका है। संयंत्र आईएसओ 1008, यूरोपीय, अमेरिका और भारतीय फार्माकोपिया जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगाए जाने वाले पांच संयंत्रों के लिए स्थल तैयार करने की पहल की जा चुकी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 रोगियों के लिए बेहद जरूरी ऑक्सीजन उत्पन्न करने की खातिर एमओपी तकनीक का उपयोग करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए डीआरडीओ की मदद का आश्वासन दिया है।