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महोबा में दहेज और बेटे की चाह ने ली विवाहिता की जान, संदिग्ध हालात में मौत से मचा हड़कंप

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से दहेज उत्पीड़न और बेटा न होने की सनक का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां दहेज की अतिरिक्त मांग और बेटी के जन्म के बाद बढ़ती प्रताड़ना ने एक विवाहिता की जान ले ली। चरखारी कोतवाली क्षेत्र के बम्होरी कला गांव में 30 वर्षीय संगीता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, बल्कि समाज में अब भी जिंदा दहेज प्रथा और बेटे की चाह जैसी संकीर्ण सोच की भयावह तस्वीर पेश करती है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

मिली जानकारी के अनुसार, बांदा जिले के मटोंध गांव निवासी परशुराम ने साल 2021 में अपनी बेटी संगीता की शादी बड़े अरमानों और उम्मीदों के साथ जितेंद्र नामक युवक से की थी। विवाह के समय परिजनों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार दो लाख रुपये नगद, आभूषण और गृहस्थी का पूरा सामान दहेज में दिया था। शुरुआत में सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन कुछ ही समय बाद ससुराल में संगीता की जिंदगी मुश्किलों से भरने लगी।

परिजनों का आरोप है कि पति जितेंद्र और उसके परिवार वाले शादी के कुछ महीनों बाद ही अतिरिक्त दहेज की मांग करने लगे। ससुराल पक्ष की ओर से 5 लाख रुपये नगद और एक प्लॉट की मांग को लेकर संगीता को लगातार प्रताड़ित किया जाता था। विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की जाती थी और मानसिक रूप से भी उसे तोड़ा जाता था। पीड़िता के पिता और भाई ने पति पर अप्राकृतिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

दहेज को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि पहले कई बार पंचायतें बुलाई गईं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका। हालात बिगड़ने पर संगीता करीब दो साल तक अपने मायके में रहने को मजबूर हो गई। इसके बाद पुलिस और क्षेत्र के संभ्रांत लोगों के हस्तक्षेप से समझौता कराया गया और पति जितेंद्र उसे दोबारा ससुराल ले गया। उस वक्त मायके वालों को उम्मीद थी कि अब हालात सुधर जाएंगे और संगीता की जिंदगी पटरी पर लौट आएगी।

इसी दौरान संगीता ने एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन परिजनों का आरोप है कि बेटी के जन्म के बाद ससुराल वालों का व्यवहार और भी क्रूर हो गया। बेटे की चाह में अंधे ससुराल पक्ष ने संगीता को और ज्यादा प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। मायके वालों का कहना है कि संगीता अक्सर फोन पर अपने साथ हो रहे अत्याचारों की जानकारी देती थी और डर के साए में जी रही थी।

मौत से ठीक एक रात पहले संगीता ने अपने मायके फोन कर बताया था कि उसकी जान को खतरा है और उसे तुरंत वहां से ले जाने की गुहार लगाई थी। लेकिन इससे पहले कि परिवार कोई कदम उठा पाता, सुबह संगीता की मौत की खबर आ गई। उसकी संदिग्ध मौत की सूचना मिलते ही मायके पक्ष में कोहराम मच गया।

मायके वालों का सीधा आरोप है कि यह आत्महत्या का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है। उनका कहना है कि ससुराल वालों ने दहेज और बेटी के जन्म से नाराज होकर संगीता की जान ले ली। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का खुलासा हो सकेगा।

फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और ससुराल पक्ष से पूछताछ की जा रही है। यह घटना एक बार फिर सवाल खड़े करती है कि आखिर कब तक दहेज और बेटे की चाह में बेटियां अपनी जान गंवाती रहेंगी। समाज और कानून दोनों के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है।


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