वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 13 दिसंबर ( न्यूज हेल्पलाइन ) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम को भारत की संस्कृति और प्राचीन इतिहास का वसीयतनामा करार दिया और कहा कि प्रतिष्ठित मंदिर के दर्शन करने से आस्था और विश्वास दोनों का अनुभव मिलेगा।
यहां 339 करोड़ रुपये की परियोजना का उद्घाटन करने के बाद बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा, "विश्वनाथ धाम भारत की संस्कृति और प्राचीन इतिहास का एक वसीयतनामा है। यह इस तथ्य का एक वसीयतनामा है कि कैसे हमारे प्राचीन मूल्य हमें हमारे भविष्य की ओर मार्गदर्शन कर रहे हैं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ के चरणों में शीश नवाता हूं।अभी मैं बाबा के साथ नगर कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करके आ रहा हूं।काशी में कुछ भी नया हो इसलिए सबसे पहले उनसे पूछना आवश्यक है।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि हमारा पूरा चेतन ब्रह्मांड इससे जुड़ा है।विश्वनाथ धाम के इस आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है।आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है।आज एक नया इतिहास रचा जा रहा है।यहां आज जो आसपास प्राचीन मंदिर लुप्त हो गए थे उन्हें दोबारा स्थापित किया जा चुका है। विश्वनाथ धाम का पूरा परिसर एक भवन भर नहीं है।ये भारत की प्राचीनता प्रतीक है, ऊर्जाशीलता का प्रतीक है। यहां आपको अपने अतीत के गौरव का अनुभव होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है।भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है।
पीएम ने आगे कहा कि आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे।कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही है, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब मैं बनारस आया था तो मुझे विश्वास था।मुझे अपने से ज्यादा बनारस के लोगों पर विश्वास था। कुछ लोग कहते थे कि कैसे होगा? ये तो होगा ही नहीं।मोदी जैसे बहुत लोग आकर चले गए।बनारस के बारे में धारणाएं बनाई जाने लगीं।ये जड़ता बनारस की नहीं थी।निजी स्वार्थ के लिए बनारस पर आरोप लगाए गए। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है उनकी सरकार है।जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को भला कौन रोक सकता है? यहां सब महादेव की इच्छा से होता है।जो कुछ भी हुआ है सब महादेव ने किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि बाबा के साथ अगर किसी और का योगदान है तो बाबा के गणों को है यानी सारे काशीवासियों का है, जो खुद महादेव का रूप हैं।जब भी बाबा को अपनी शक्ति अनुभव करानी होती है तो काशी को माध्यम बनाते हैं।काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले मजदूरों का भी धन्यवाद करता हूं, उन्होंने कोरोना काल में भी निर्माण कार्य को रुकने नहीं दिया। जिन लोगों के घर यहां हुआ करता था, मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं। कर्मयोगी सीएम योगी और उनकी टीम को भी धन्यवाद करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कितनी सल्तनतें उठीं और मिट्टी में मिल गईं लेकिन बनारस वहीं का वहीं है।औरंगजेब के अत्याचार का साक्षी काशी है, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर सालार मसूद इधर बढ़ता है तो महाराजा सुहेलदेव उसका मुकाबला करते हैं।अंग्रेजों के जमाने में काशी के लोगों ने शौर्य दिखाया।आज समय का चक्र देखिए, आतंक के पर्याय इतिहास के काले पन्नों में सिमटकर रह गए हैं।
पीएम ने आगे कहा कि काशी में सत्य ही संस्कार है, काशी वो है जहां प्रेम ही परंपरा है।काशी के बारे में जो भी कहूं कम है। ये काशी शिवमयी है, ज्ञानमयी है। भगवान शिव ने खुद कहा है कि धरती के क्षेत्रों में काशी साक्षात मेरा ही शरीर है।इसलिए यहां का हर पत्थर शंकर है। शास्त्रों का वाक्य है कि काशी में सर्वत्र, हर जीव में भगवान शिव के दर्शन होते हैं। काशी जीवत्व को शिवत्व से जोड़ती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि काशी ही वो जगह है जहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव की प्रेरणा से रामचरितमानस की रचना की। यही वो जगह है जहां महाकवि कालिदास का जन्म हुआ। शिवाजी को भी यहीं से प्रेरणा मिली। कितने ही आचार्यों की जन्मभूमि और कर्मभूमि काशी रही है।काशी के विकास में इन अनन्य पूज्यनीयों की ऊर्जा शामिल है।इसीलिए हर वर्ग के लोग काशी आने के बाद यहां से जुड़ाव महसूस करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ मंदिर की आभा बढ़ाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने 23 मन सोना दान किया था।गुरुनानक जी ने भी यहां सत्संग किया था। दक्षिण भारत के राजाओं ने भी काशी के लिए योगदान दिया। यहां हर शैली के मंदिर मिल जाएंगे।मेरा पुराना अनुभव है कि घाट पर रहने वाले और नाव चलाने वाले तेलगू, तमिल और मलयालम इतनी फर्राटेदार बोलते हैं कि लगता है कहीं दक्षिण भारत तो नहीं आ गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सोमनाथ से लेकर विश्वनाथ तक द्वादश ज्योतिर्लिंग तक का स्मरण करने से सभी काम सिद्ध हो जाते हैं क्योंकि इसमें पूरे भारत का भ्रमण हो जाता है।जब भारत का भाव आ जाता है तो कुछ भी असंभव कहां बचता है? अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है जो हर असंभव काम को आसान कर देता है। चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं।जैसी दृष्टि से हम खुद को देखेंगे, विश्व भी हमको वैसे ही देखेगा।
पीएम ने आगे कहा कि आज का भारत सिर्फ अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर ही नहीं बना रहा, बल्कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज बना रहा है सिर्फ काशी में भव्य कॉरिडोर ही नहीं बना रहा, बल्कि गरीबों के पक्के मकान भी बना रहा है। पूरे भक्ति भाव से काम किया गया है।आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को ढूंढ रहा है।माता अन्नपूर्णा की कृपा से कोरोना काल में मुफ्त राशन का इंतजाम हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मंदिर में हम भगवान से कई बार कुछ ना कुछ मांगते हैं।मेरे लिए जनता ईश्वर का रूप है। मैं आपसे मांगता हूं कि हमारे देश के लिए तीन संकल्प करें।पहला स्वच्छता, दूसरा सृजन और तीसरा आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास।
पीएम मोदी ने कहा कि मां गंगा की सफाई के लिए उत्तराखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक कई प्रयास चल रहे हैं।मैं आह्वान करता हूं कि पूरी ताकत से सृजन करिए, इनोवेटिव तरीके से इनोवेट कीजिए। हर भारतवासी जहां भी है, जिस क्षेत्र में है, देश के लिए कुछ नया प्रयास करेगा तभी नए मार्ग बनेंगे।जब भारत 100 साल आजादी के मनाएगा तो भारत कैसे होगा इसके लिए अभी से प्रयास करना होगा।हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास निरंतर करते रहना है। ऐसा भारत बनाना होगा, जिसमें हम वोकल के लिए लोकल हों।इसी विश्वास के साथ मैं बाबा विश्वनाथ और सभी देवी-देवताओं के चरणों में प्रणाम करता हूं।