नई दिल्ली, 16 फरवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) इन दिनों पांच राज्यों (यूपी, पंजाब, गोआ,मणिपुर और उत्तराखंड) में हो रहे चुनाव के तहत मतदान की प्रक्रिया चल रही है। इन पांच चुनावी राज्यों में से दो राज्यों (पंजाब और गोआ) में आम आदमी पार्टी (AAP) अपने राष्ट्रीय संयोजक और अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) के नेतृत्व में बहुत ही मज़बूती से राष्ट्रीय पार्टियों यथा- कांग्रेस और भाजपा को टक्कर दे रही है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों और एग्जिट पोल में तो यहां तक कहा गया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) इन चुनावों में कम से कम एक राज्य में तो सरकार बनाने जा रही है। गोआ के विधानसभा चुनावों के लिए मतदान तो विगत 14 फरवरी को ही समाप्त हो चुकी है। अब बढे हुए तारीखों के अनुसार (पहले 14 फरवरी को ही पंजाब में मतदान होने वाले थे) आगामी 20 फरवरी को पंजाब में विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान होने वाली है। ऐसे में जबकि पंजाब विधानसभा चुनाव के मतदान में मात्र 4 दिन ही शेष रह गए हैं, वैसे में कवि और AAP के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं।
कवि और आप के पूर्व नेता कुमार विश्वास ( Kumar Vishwas ) ने आरोप लगाया कि आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) पंजाब में अलगाववादियों के समर्थक थे। कुमार विश्वास ( Kumar Vishwas ) ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया है कि एक दिन, उन्होंने (आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल) मुझसे कहा कि वह या तो (पंजाब के) मुख्यमंत्री बनेंगे या एक स्वतंत्र राष्ट्र (खालिस्तान) के पहले पीएम। कुमार विश्वास ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को सत्ता का लालची बताते हुए सत्ता प्राप्त करने के लिए दंगे करवाने से भी बाज़ नहीं आने तक की बात कह दी।
पंजाब में मतदान से मात्र 4 दिन पूर्व आम आदमी पार्टी (
AAP) के प्रमुख पर इतने गंभीर आरोपों के आगे क्या प्रभाव और परिणाम होंगे यह तो आगामी 20 फरवरी को मतदान और फिर 10 मार्च को मतगणना के बाद ही ज्ञात होगी, मगर चुनावों से जस्ट पहले कुमार विश्वास (
Kumar Vishwas ) का इस तरह से अरविंद केजरीवाल (
Arvind Kejriwal ) पर आरोप लगाने के कई मायने हो सकते हैं। या तो वे (कुमार विश्वास) राज्यसभा की सीट न देने (जिस मुद्दे पर उन्होंने AAP छोड़ी थी) की खीझ को पंजाब में
AAP के चुनाव अभियान को नुकसान पहुंचा कर निकाला रहे हैं, या किसी पार्टी (हालांकि फिलहाल वे किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हुए हैं) के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं। या यह भी हो सकता है कि वे सच बोल रहे हों, मगर यह मुद्दा काफी गंभीर है, और इसकी जांच होनी चाहिए।