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पटना में CJI के सामने कानून मंत्री रिजिजू बोले, सिर्फ जज की संख्या बढ़ाने से डिलीवरी मैकेनिज्म मजबूत नहीं होगा

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Posted On:Saturday, September 24, 2022

मुंबई, 24 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। किरण रिजिजू बापू सभागार में बिहार स्टेट बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में दो सेशन आयोजित किए गए। पहले सेशन में 'राष्ट्र निर्माण में वकीलों की क्या भूमिका है?' इस पर चर्चा होगी। जबकि, दूसरे सेशन में नौजवान वकीलों के लिए एक ट्रेनिंग होगी। ट्रेनिंग में उन्हें बताया जाएगा कि कोर्ट में कैसे काम करते हैं? सीनियर के साथ किस तरह से व्यवहार करना है। अपने क्लाइंट के साथ वो किस तरह से पेश आएं? इस बारे में उन्हें ट्रेंड किया जाएगा। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के 6 जज भी शामिल हुए। इनमें जस्टिस संजय किशन कॉल, एमआर शाह, बीआर गवई, जेके महेश्वरी, एमएम सुंदरेश और पीए नरसिम्हा शामिल हैं। इनके साथ ही पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और कई जज शामिल हुए। कई पूर्व जज भी मौजूद थे। सभी राज्यों के बार काउंसिल के अधिकारी, सदस्यों के साथ ही अकेले बिहार से करीब 7 से 8 हजार वकील शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में पटना में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को कहा कि जस्टिस डिलीवरी मैकेनिज्म मजबूत कैसे हो? इस पर फोकस करें। सिर्फ जज की संख्या बढ़ाने से यह मजबूत नहीं होगा। केस के डिले होने से चिंता बढ़ती है। हमारे लिए दुःख की बात है कि 10 से 15 साल तक केस पेंडिंग रहता है। जज-वकील और सरकार को अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए। जब वह बोल रहे थे तो मंच पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस यूयू ललित, बिहार के सीजे जस्टिस संजय करोल और सुप्रीम कोर्ट के 6 जज मौजूद थे। उन्होंने कहा कि जब मंत्री बना तो 4 करोड़ 25 लाख केस पेंडिंग थे। कोरोना की वजह से इसकी संख्या बढ़कर 4 करोड़ 80 लाख हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास कई वीडियो आते हैं। हाईकोर्ट के वीडियो को मैं ऑब्जर्व करता हूं। कई खामियां दिखीं। सोशल मीडिया में जजों पर जो टिप्पणी होती है, वो सही नहीं है। इस मामले में ठोस कदम उठाना होगा। कार्रवाई होनी चाहिए। लाइव स्ट्रीमिंग में ध्यान देना होगा। पिछले 8 साल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक भी ऐसा कदम नहीं उठाया, जिससे ज्यूडिशियरी को नुकसान हो। ज्यूडिशियरी से हम उम्मीद करते हैं कि अपने दायरे और संविधान में रहकर सम्मान भाव से काम करें। ताकि मधुर संबंध बना रहे।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित ने कहा, 'वकील वो आदमी होता है जो रूल ऑफ लॉ को संभाले। उसका मान रखे। दूसरा वो हर बात में कारण खोजता है। इसकी वो हमेशा कोशिश करता है। तीसरी वो हर बात को नेशनल स्तर पर सोचता है। यही वजह है कि महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के वक्त सिर्फ नमक को ही क्यों चुना? क्योंकि, नमक आदमी की जिंदगी में बहुत अहम है। वकीलों के पास काफी ताकत है। इसी के आधार पर आपको आगे बढ़ना होगा। एक कैनवैसिंग पावर वकील में होती है। इसे और मजबूत करना चाहिए। इसका इस्तेमाल सही से समाज में होना चाहिए।'

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कॉल ने अपील की कि जब कोर्ट और बार के बीच मतभेद होता है तो वकील हड़ताल पर न जाएं। क्योंकि, इससे जस्टिस सिस्टम पर असर पड़ता है। क्लाइंट को टाइम पर न्याय नहीं मिला पाता है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने इस कार्यक्रम की तारीफ की। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य बार काउंसिल देश का तीसरा बड़ा काउंसिल है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बिहार से ही चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। केस दायर होने और उसका निष्पादन का अनुपात पूरे देश में सबसे अधिक पटना हाईकोर्ट में है। तो वही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि गुजरात मेरी जन्मभूमि तो बिहार कर्मभूमि है। इन्होंने कहा कि वकीलों को तारीख पर तारीख लेने के कल्चर को बंद करना चाहिए। इससे क्लाइंट की परेशानी बढ़ती है। जिस तरह से जजों की ट्रेनिंग के लिए ज्यूडिशियल अकादमी है, वैसे ही वकीलों की ट्रेनिंग के लिए भी एक अकादमी बने। ताकि वकील के पास भी गुणवत्ता हो।


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