उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की अदालत ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी और बाल विवाह को बढ़ावा देने के आरोपों को लेकर परिवाद दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश अखिल भारत हिंदू महासभा, आगरा की जिला अध्यक्ष मीरा राठौर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया। अदालत के फैसले के बाद इस पूरे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है और कथावाचक की कानूनी चुनौती भी बढ़ गई है।
आरोप: महिलाओं का अपमान और बाल विवाह का समर्थन
मीरा राठौर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि अनिरुद्धाचार्य ने कथा वाचन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। आरोप है कि उन्होंने कथा मंच से अश्लील इशारे, अभद्र भाषा का उपयोग किया और 14 वर्ष की आयु में लड़कियों की शादी की वकालत कर कानून का उल्लंघन किया। याचिका में यह भी कहा गया है कि कथावाचक ने न केवल महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाई, बल्कि बाल विवाह को सामाजिक रूप से उचित ठहराने का संकेत देकर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया।
भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम आयु में विवाह कराना अपराध की श्रेणी में आता है और इससे जुड़े प्रचार को भी कानूनी रूप से अमान्य माना गया है। अदालत का यह आदेश उसी संदर्भ में एक अहम कदम माना जा रहा है।
अदालत ने माना मामला गंभीर
सीजेएम कोर्ट मथुरा ने मीरा राठौर की दलीलों और प्रस्तुत वीडियो साक्ष्यों पर संज्ञान लेते हुए परिवाद दाखिल करने का आदेश दिया। अदालत का कहना है कि आरोपों में गंभीरता है और इनकी विधिक जांच आवश्यक है। आदेश के अनुसार, 1 जनवरी 2026 को शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया जाएगा। इसके बाद अगली तारीखों में आगे की कानूनी कार्यवाही तय होगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में होगा खुलासा
अखिल भारत हिंदू महासभा की जिला अध्यक्ष मीरा राठौर आज दोपहर 12 बजे PWD गेस्ट हाउस, मथुरा में प्रेस वार्ता करेंगी। इस दौरान वे अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य, आरोपों के आधार और आगे की रणनीति पर जानकारी देंगी। उम्मीद की जा रही है कि प्रेस कॉन्फ़्रेंस में और भी नए तथ्यों को सार्वजनिक किया जा सकता है।
अनिरुद्धाचार्य की ओर से प्रतिक्रिया
इस मामले में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि उनके विधिक प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि पूरा पक्ष कोर्ट में ही रखा जाएगा। संपर्क सूत्रों के अनुसार अनिरुद्धाचार्य मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और इस मामले पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी नहीं करेंगे। उनके प्रतिनिधियों ने कहा—“महाराज जी इस मामले में कुछ नहीं कहेंगे, उनकी ओर से केवल वकील ही अदालत में पक्ष रखेंगे।”
विवाद का विस्तार और अगली सुनवाई पर नजर
धार्मिक कथा वाचन के मंच से दिए गए ऐसे बयानों को लेकर देशभर में समय-समय पर विवाद होते रहे हैं, लेकिन यह मामला कानूनी रूप से एक बड़ा मोड़ ले चुका है। महिलाओं के सम्मान से जुड़े संवेदनशील पहलू और नाबालिग विवाह की वकालत जैसे आरोप इसे और गंभीर बना देते हैं।
अदालत का आदेश यह संकेत देता है कि प्रवचन मंच पर दिए गए वक्तव्य भी कानून के दायरे से बाहर नहीं हो सकते। आगामी सुनवाई में तय होगा कि इस मामले में आरोपों को किन धाराओं के तहत आगे बढ़ाया जाएगा और क्या कथावाचक को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।