मुंबई, 14 जून 2021
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की मुश्किलें कम तो नहीं हो रही लेकिन उनको कोर्ट की तरफ़ से कुछ राहत ज़रूर मिली है। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में 22 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने उच्च न्यायालय को बताया कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सिंह को मामले में किसी भी "दंडात्मक कार्रवाई" से बचाने के उनके पिछले बयान को 22 जून तक बढ़ा दिया जाएगा।
वकील खंबाटा के बयान के बाद, जस्टिस पीबी वराले और एसपी तावड़े की पीठ ने परमबीर सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 22 जून तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें ठाणे पुलिस द्वारा अत्याचार अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करने और उनके खिलाफ शुरू की गई प्रारंभिक जांच को राज्य सरकार द्वारा चुनौती देने की मांग की गई थी।
अकोला पुलिस निरीक्षक बीआर घडगे की शिकायत पर इस साल अप्रैल में सिंह के खिलाफ अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
बीआर घड़गे, जो अनुसूचित जाति समुदाय से हैं उन्होंने आरोप लगाया था कि सिंह ने एक आपराधिक मामले में कुछ आरोपी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए परमबीर सिंह के अवैध आदेशों का पालन करने से इनकार करने के बाद उन्हें जबरन वसूली के कुछ मामलों में फंसाने की साजिश रची थी।
उच्च न्यायालय में अपनी अन्य याचिका में, परमबीर ने राज्य सरकार द्वारा कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके खिलाफ शुरू की गई दो जांचों को चुनौती दी थी।
कुछ अखिल भारतीय सेवा नियमों के कथित उल्लंघन के लिए राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा इस साल 1 अप्रैल को पहला जांच आदेश पारित किया गया था। दूसरा आदेश 20 अप्रैल को देशमुख के उत्तराधिकारी दिलीप वालसे पाटिल द्वारा परमबीर सिंह के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर पारित किया गया था।