मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में पटियाला हाउस कोर्ट में सजा सुनाई जानी है। यासीन पर भारतीय वायु सेना के 4 जवानो की हत्या, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम की बेटी का अपहरण करने, एवं कश्मीरी पंडितो की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप है। जिसे मालिक द्वारा कबूल कर लिया गया है। तो वही NIA कोर्ट पहले ही मलिक को दोषी करार करार दे चुका है। यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी घटनाओं के लिए फंडिंग करने और आतंकियों को तबाही का सामान मुहैया कराने के मामले चल रहे हैं। सजा से पहले पटियाला हाउस कोर्ट की सुरक्षा कड़ी कर दी गई। वहीं, श्रीनगर के कई बाजार बंद हो गए। यहां लाल चौक समेत कई इलाकों में भारी फोर्स तैनात कर दिया गया है। यासीन मलिक के घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा होने की जानकारी भी मिली है। उसके घर पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है।
इससे पहले बुधवार (19 मई) को कोर्ट का फैसला आने से पहले यासीन ने कहा था कि, 'अगर मैं 28 साल के दौरान किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं और खुफिया एजेंसियां यह साबित करती हैं, तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मुझे फांसी मंजूर होगी। मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। मैं अपने लिए कुछ भी नहीं मांगूंगा। मैं अपनी किस्मत का फैसला अदालत पर छोड़ता हूं।' साथ ही मलिक ने दोषी करार होने के बाद कोर्ट में कहा था कि वह UAPA की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता। आपको बता दे मलिक 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में केद है।
पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान ने यासीन मलिक को सजा दिए जाने का विरोध किया है। इमरान ने लिखा कि मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मोदी सरकार की उस फासीवादी रणनीति की कड़ी निंदा करता हूं, जिसके तहत उन्हें अवैध कारावास से लेकर फर्जी आरोपों में सजा दी जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को फासीवादी मोदी शासन के राजकीय आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।