वाराणसी। वाराणसी के नदियों गंगा, वरुणा और अस्सी कि स्थिति सुधारने के साथ ही उनकी जैव विविधताओं को भी संरक्षित किया जाएगा। गंगा-वरुणा और असि गंगा के संगम को हरा भरा बनाने व नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए बायोडायवर्सिटी पार्क की सिफारिश विज्ञानियों व विशेषज्ञों की टीम ने की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेजी गई रिपोर्ट में गंगा व उसकी सहायक नदियों के संगम पर इस पार्क को बनाने की बात कही गई है।
बायोडायवर्सिटी पार्क में औषधीय और परंपरागत पौधे लगाए जाएंगे। इन पौधों के सामने उनकी विशेषताओं और फायदों को अंकित किया जाएगा। इसमें स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण पर विशेष जोर होगा। क्षेत्र विशेष गंगा में पाए जाने वाले जलचरों के संरक्षण की भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। जल संरक्षण का मॉडल विकसित कर आसपास के लोगों को भी इसके बारे में बताया जाएगा। गांवों से आने वाले दूषित जल को प्राकृतिक माध्यमों से शुद्ध कर उसका इस्तेमाल पौधों की सिंचाई में होगा। गंगा की सफाई औवाराणसी। वाराणसी के नदियों गंगा, वरुणा और अस्सी कि स्थिति सुधारने के साथ ही उनकी जैव विविधताओं को भी संरक्षित किया जाएगा। गंगा-वरुणा और असि गंगा के संगम को हरा भरा बनाने व नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए बायोडायवर्सिटी पार्क की सिफारिश विज्ञानियों व विशेषज्ञों की टीम ने की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेजी गई रिपोर्ट में गंगा व उसकी सहायक नदियों के संगम पर इस पार्क को बनाने की बात कही गई है।
बायोडायवर्सिटी पार्क में औषधीय और परंपरागत पौधे लगाए जाएंगे। इन पौधों के सामने उनकी विशेषताओं और फायदों को अंकित किया जाएगा। इसमें स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण पर विशेष जोर होगा। क्षेत्र विशेष गंगा में पाए जाने वाले जलचरों के संरक्षण की भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। जल संरक्षण का मॉडल विकसित कर आसपास के लोगों को भी इसके बारे में बताया जाएगा। गांवों से आने वाले दूषित जल को प्राकृतिक माध्यमों से शुद्ध कर उसका इस्तेमाल पौधों की सिंचाई में होगा। गंगा की सफाई और संरक्षण के लेकर सरकार के साथ एनजीटी भी सक्रिय है। असि व वरुणा नदी के कायाकल्प व पुनरुद्धार के लिए बनी कार्ययोजना के तहत इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। गंगा असि के संगम पर नगवा स्थित संत रविदास पार्क को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित करने का विकल्प भी रखा गया है।
नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जैव विविधता अहम होती है। बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रदूषक तत्वों को सोखने की क्षमता रखने वाले पौधों को लगाया जाता है। सूक्ष्म-जीवों की विभिन्न प्रजातियों की मौजूदगी होती है, ये जहरीले पदार्थों की सफाई में सहायक होती हैं। इन सूक्ष्म-जीवों में औद्योगिक अपशिष्ट से भारी धातुओं को हटाने की क्षमता होती है। पार्क में ऐसे पौधों को भी उगाया जाता है, जो मिट्टी में मौजूद प्रदूषक तत्वों को अवशोषित करते हैं। पार्क में कुछ जलीय पौधों के अलावा जलीय जंतु भी होते हैं।र संरक्षण के लेकर सरकार के साथ एनजीटी भी सक्रिय है। असि व वरुणा नदी के कायाकल्प व पुनरुद्धार के लिए बनी कार्ययोजना के तहत इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। गंगा असि के संगम पर नगवा स्थित संत रविदास पार्क को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित करने का विकल्प भी रखा गया है।
नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जैव विविधता अहम होती है। बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रदूषक तत्वों को सोखने की क्षमता रखने वाले पौधों को लगाया जाता है। सूक्ष्म-जीवों की विभिन्न प्रजातियों की मौजूदगी होती है, ये जहरीले पदार्थों की सफाई में सहायक होती हैं। इन सूक्ष्म-जीवों में औद्योगिक अपशिष्ट से भारी धातुओं को हटाने की क्षमता होती है। पार्क में ऐसे पौधों को भी उगाया जाता है, जो मिट्टी में मौजूद प्रदूषक तत्वों को अवशोषित करते हैं। पार्क में कुछ जलीय पौधों के अलावा जलीय जंतु भी होते हैं।