वाराणसी। वाराणसी में हर वर्ष हरितालिका व्रत का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है जो कि हर साल भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को पड़ता है जो कि 9 सितम्बर को पड़ेगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत विवाहित महिलाओं के अलावा अविवाहित लड़कियों द्वारा भी रखा जाता है। इस दिन निर्जला और निराहार व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए रखा था।
शुभ मुहूर्त :
सुबह 06.03 बजे से सुबह 08.33 बजे तक का हरितालिका तीज का मुहूर्त है पूजा के लिए आपको कुल 02.30 घंटे का समय मिलेगा।इसके अलावा रात 06.33 बजे से रात 08.51 बजे तक का पूजा का शुभ मुहूर्त है जिसके अंतर्गत व्रती महिलाये पूजा कर सकेंगी ।
हरतालिका तीज व्रत के नियम:
इस व्रत में पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता। व्रत रखने वाली महिलाएं अगले दिन जल ग्रहण करती हैं।
मान्यता है अगर एक बार ये व्रत शुरू कर दिया है तो फिर इसे छोड़ा नहीं जा सकता। हर साल इस व्रत को विधि विधान रखना होता है।
व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन सोना नहीं चाहिए और रात्रि भर जागरण करना चाहिए।
इस व्रत को कुंवारी कन्या अच्छे वर की प्राप्ति के लिए तो शादीशुदा स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
हरतालिका तीज व्रत सामग्री:
गीली काली मिट्टी या बालू रेत,धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, जनैऊ, कलेवा/लच्छा या नाड़ा, वस्त्र, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, कपूर, फुलहरा, कुमकुम, दीपक और विशेष प्रकार की पत्तियां, लकड़ी का पाटा, पूजा के लिए नारियल, लाल या पीले रंग का कपड़ा, पानी से भरा कलश, मेंहदी, काजल, माता के लिए चुनरी, सुहाग का सामान, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी और पंचामृत।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि:
इस व्रत की पूजा प्रदोषकाल में की जाती है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी (बालू रेत या काली मिट्टी) से प्रतिमा बनाई जाती है।
इस दिन कई लोग भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बनी बनाई मूर्ति का पूजन भी करते हैं।
पूजा स्थल को अच्छे से सजा लें और एक चौकी रखें। चौकी पर केले के पत्ते रखकर उस पर भगवान शंकर, माता पार्वती औक गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करें और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का विधि विधान पूजन करें।
इसके बाद तैयार की गई सुहाग की पिटारी को माता पार्वती को चढ़ाएं। शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाएं।
सुहाग सामग्री को सास के चरण स्पर्श कराकर किसी ब्राह्मणी को दान कर दें।
पूजन के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें और रात्रि भर जागरण करें।
माता पार्वती की आरती उतारें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।