बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोप-वे अब पूरी तरह हाईटेक रूप ले चुका है। यह रोप-वे देश के अन्य हिस्सों में चलने वाले पारंपरिक रोप-वे से कहीं ज्यादा आधुनिक है। इसके 38 टावरों पर कुल 228 सेंसर लगाए गए हैं जो पूरे सिस्टम की निगरानी करेंगे। खास बात यह है कि किसी भी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में स्विट्जरलैंड में बैठे विशेषज्ञ इन सेंसरों के जरिए तुरंत समस्या का समाधान कर सकेंगे। इससे संचालन में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आएगी।
कंट्रोल रूम में लगे स्क्रीन पर गंडोला (कैबिन) की हर गतिविधि की जानकारी रियल टाइम में दिखाई देगी — कौन सा गंडोला किस टावर से गुजर रहा है, उसकी रफ्तार क्या है और अगले स्टेशन से कितनी दूरी पर है, सब कुछ। सेंसर तकनीक की मदद से किसी भी पैनल में आई खराबी तुरंत पकड़ में आ जाएगी। यह पूरी प्रणाली यूरोपीयन स्टैंडर्ड सेफ्टी उपकरणों से लैस है, जिससे यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी यात्रियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित मानी जा रही है।
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर गोदौलिया चौराहे तक 3.8 किलोमीटर लंबे इस रोप-वे कॉरिडोर को स्काडा सिस्टम (Supervisory Control and Data Acquisition) से जोड़ा गया है। इसके तहत सभी डेटा और संचालन की स्थिति की निगरानी डिजिटल रूप से की जाएगी। इस तकनीक से पूरे संचालन पर एक साथ निगरानी रखना आसान होगा और किसी भी गड़बड़ी का तुरंत पता लगाया जा सकेगा।
रोप-वे के कैंट, विद्यापीठ, रथयात्रा और गोदौलिया स्टेशनों पर 24 घंटे चिकित्सकीय सुविधा, एंबुलेंस और बड़ी क्रेन उपलब्ध रहेगी। क्रेन का इस्तेमाल आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए किया जाएगा। तेज हवाओं या बिजली कड़कने पर सिस्टम अपने आप गंडोला की रफ्तार धीमी कर देगा। यहां तक कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर भी गंडोला बीच में नहीं रुकेगा, बल्कि धीरे-धीरे अगले स्टेशन तक पहुंच जाएगा।