बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के निकट रहने वाले कारोबारी वंदेश अढ़तिया कोरोना से जंग हार गए। उन्हें दिवंगत हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन उनके परिजन अब भी बीएचयू के चक्कर काटने को मजबूर हैं। परिजन यह जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि लगभग ठीक हो चले उनके मरीज को अचानक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और किन परिस्थितयों में उन्होंने दम तोड़ दिया।
उनके परिजनों ने बताया कि वंदेश को कोरोना के उपचार के लिए अप्रैल के दूसरे सप्ताह में बीएचयू अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें चौथे तल पर 44 नंबर बेड पर रखा गया था। करीब हफ्ते भर बाद ही उनकी सेहत में सुधार हो गया था। 12 दिन बीतते बीतते वह काफी स्वस्थ हो गए थे। हम सब जल्द ही उनके घर लौटने की प्रतीक्षा कर रहे थे। 14वें दिन अस्पताल से फोन आया कि आपके पेशेंट सीरियस हो गए हैं। उन्हें वेटीलेटर पर रखा गया है।
हम लोग हड़बड़ी में अस्पताल पहुंचे। आईसीयू के बाहर से देखा कि उनकी सांसें बहुत तेज चल रही हैं। कुछ देर उन्हें देखने के बाद हम घर लौट आए। वापस आने के करीब आघे घंटे बाद फिर अस्पताल से फोन आया कि आप के पेशेंट की मौत हो गई है। बॉडी ले जाइए। हमारे परिवार का सदस्य तो चला गया, लेकिन हम यह जानने के लिए बेचैन हैं कि आखिर हुआ क्या था? हमने कई बार फोन करके उनके उपचार का विवरण जानना चाहा, लेकिन हर बार हमें टाल दिया गया। मजबूरन उस खतरनाक माहौल में हमने अस्पताल के चक्कर लगाने शुरू किए। हमने भी तय किया है कि जब तक हमें उपचार का पूरा विवरण नहीं मिल जाएगा तब तक हम चक्कर लगाते रहेंगे।