वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन एवं वस्त्र अभिकल्प केंद्र, दृश्य कला संकाय के संयुक्त तत्वाधान में 6वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित संवाद संगोष्ठी श्रृंखला की तीसरी कड़ी में सोमवार को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त उस्ताद बुनकर नसीम अहमद ने बालूचरी साड़ी के बारे में विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि कैसे 50 के दशक में बंगाल की लुप्तप्राय बालूचरी साड़ी की परंपरा को उनके पूर्वज कल्लू हाफिज़ (पद्मश्री अलंकृत) ने सरंक्षित किया। बालूचरी साड़ी जिसे बूटीदार साड़ी के नाम से भी जाना जाता है, अपने आकृतिमूलक अलंकरणों के लिए प्रसिद्ध है। इसके बनाने की तकनीकी बारीकियों, अलंकरण विशेषताओं आदि पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि इसमें रेशम पर रेशम से बुनाई द्वारा अलंकरण किया जाता है।
इस संवाद के माध्यम से बालूचरी साड़ियों की तकनीक से आम आदमी को अवगत कराया गया। समस्त कार्यक्रम भारत कला भवन के प्रदर्शनी कक्ष में कोरोना नियमों के अंतर्गत ही संपन्न किए गए। यह कार्यक्रम फेसबुक पर लाइव प्रसारित किया गया और इसकी रिकॉर्डिंग भारत कला भवन के अधिकृत यूट्यूब चैनल पर देख सकते है।
कार्यक्रम का संचालन डा. जसमिंदर कौर, उप निदेशक, भारत कला भवन द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. आर. गणेशन, डॉ. प्रियंका चन्द्रा, दीपक भरथन अल्धुर, जय प्रकाश मौर्या, लक्ष्मी तिवारी, राजेश श्रीवास्तव एवं राकेश कुमार गौतम इत्यादि उपस्थित थे।