वाराणसी। ग्रुप-20 बैठकों में भारत आने वाले विदेशी डेलीगेट्स, राजनेताओं और राजनयिकों के स्वागत के लिए काशी नगरी ने अपने तैयारियों को अंतिम रुप देना शुरु कर दिया है। अपने शहर की सभ्यता और संस्कृति की झलक दिखाने में काशी ने कोई कसर नही छोड़ी है। ऐसे में स्वागत को यादगार बनाने के लिए अतिथियों को काशी में बनी स्पेशल मिरर फ्रेम भेंट की जाएगी। इसे बेयर उडेन हैंड पेंटेड मिरर फ्रेम भी कहा जाता है। यह काशी के वर्ल्ड फेमस काष्ठ कला (लकड़ियों से बनी वस्तुएं) के अंतर्गत आता है। और G-20 देशों के कुल 2500 सदस्यों को मिरर फ्रेम दिया जाएगा।
इस खास उपहार को तेयार करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट विभाग की ओर से काशी के काष्ठ कलाकारों को मिले हैं। वहीं, काशी की महिलाओं और बेटियों द्वारा 5 रंगों वाले कलात्मक फ्रेम तैयार किए जा रहे हैं। बनारस में इस तरह के फ्रेम डिजाइन करने में 25 परिवार के 55 लोग हैं। 11 जनवरी को ही आर्डर मिला और 28 जनवरी को डिलीवरी देनी है। दो दिन बाद ऑर्डर लखनऊ भेज देना है। लोलार्क कुंड में इसे तैयार करा रहीं शुभी अग्रवाल ने बताया कि 2500 फ्रेम हरा, लाल, नीला, पीला, ऑरेंज रंग में तैयार किए जा रहे हैं। एक फ्रेम की कीमत 500 रुपए हैं। फ्रेम में रंग भरना काफी बारीकी वाला काम है। इसमें काफी समय लगता है।
काशी की काष्ठ कला के अलावा G-20 के मेहमानों का स्वागत गुलाबी मीनाकारी के सामान के साथ भी होगा। इसके लिए भी लखनऊ के ODOP ऑफिस से 2000 कफलिंग बनाने का आर्डर काशी के लोगों को मिला है। इस ऑर्डर को महज 20 दिन में सप्लाई देनी है। जबकि, इतना कफलिंग बनाने में इस 60 दिन का वक्त लगता है। बहरहाल, हस्तशिल्पी 18-20 घंटे की मेहनत से इसे तैयार करने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं।
काशी के गायघाट इलाके में रहने वाले रमेश कुमार विश्वकर्मा का परिवार दशकों से गुलाबी मीनाकारी से कई आकृतियों को बनाता रहा है। इसके लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मीनाकारी की 2000 कफलिंग की डिलीवरी 27 जनवरी को करनी है। उन्होंने बताया कि गुलाबी मीनाकारी का इतिहास बहुत पुराना है। राजा महाराजा के समय में गुलाबी मीनाकारी काफी प्रचलन में थी।
जून 2022 में G-7 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी को गुलाबी मीनाकारी का कफलिंग सेट गिफ्ट किया था। उसके बाद बनारस की इस पारंपरिक कलाकारी की चर्चा पूरे दुनिया में शुरू हुई और फिर इससे जुड़े कारीगरों को ऑर्डर भी मिलने लगे।