वाराणसी। इस बार माघी पूर्णिमा 16 फरवरी 2022, बुधवार को पड़ रही है। माघ के दौरान लोग पूरे महीने में सुबह जल्दी गंगा या यमुना में स्नान करते हैं। पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाला दैनिक स्नान माघ पूर्णिमा पर समाप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए सभी दान कार्य आसानी से फलित होते हैं। इसलिए लोग अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान देते हैं। यह कल्पवास का अंतिम दिन भी होता है जो प्रयाग में गंगा नदी के तट पर लगाया गया एक महीने का तपस्या शिविर होता है।
शुभ मुहूर्त:
माघ पूर्णिमा के दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग माघ पूर्णिमा के दिन रात 08 बजकर 44 मिनट तक है। इस योग को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से दोपहर 03 बजकर 12 मिनट तक है।
माघ मास का महत्व:
माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है। तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान नीलमाधव प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं। मघा नक्षत्र के उदय होने से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है. मघा नक्षत्र को श्रीविष्णु जी का हृदय कहा जाता है।
गंगा स्नान की विधि :
माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।
ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि के साथ-साथ उसके सभी रोगों का नाश होता है।
माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और उन्हें प्रणाम करें।
इसके बाद ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें और काले तिल से अपने पितरों का तर्पण करें और फिर हवन करें।
माता लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न:
माघ पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है। इस दिन रात को धन एवं वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूजा स्थल को साफ करना चाहिए। माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है।