वाराणसी। बनारस में बंदरों का आतंक एक बार फिर सिर उठाने लगा है। चाहे पक्का महल हो या फिर पॉश कॉलोनियां। शहर में हाल फिलहाल बंदरो की सही संख्या का आकलन लगाना तो मुश्किल है, किंतु ये जान लीजिये की इस समय अगर आप शहरी क्षेत्र के निवासी हैं तो आपके घर की छत या बालकनी आदि पर बंदरो का राज चल रहा है। दिन के समय सर्दी की गुनगुनी धुप का आनंद ले रहे आपके परिवार और बच्चों पर कब इन उत्पाती बंदरों का हमला हो जाए, बताना मुश्किल है।
अपने ही घर में रहतें है कैद।
साकेत नगर निवासी जगदीश्वरी चौबे बताती हैं दर्जनों बंदर रात में घर के छत पर ही सोते हैं। वह गर्मियों में चाहकर भी रात में छत पर नहीं सो सकती। बहुत से लोगों ने तो अपने घरों की बालकनी और खिड़कियों पर जाली लगवा ली है। अस्सी से लेकर राजघाट के बीच गंगा किनारे पक्के महाल में भी बंदरों का जबरदस्त आतंक है। अब से कुछ वर्षों पूर्व तक वरुणापार क्षेत्र में बंदरों का आतंक नहीं था। अब तो कचहरी, अर्दली बाजार, गिलट बाजार जैसे इलाके भी बंदरों के आतंक से मुक्त नहीं हैं।
300 की राशि नई चूका सका नगर निगम
कुछ माह पूर्व नगर निगम ने मथुरा की एक संस्था के सहयोग से शहरी सीमा के भीतर बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत संस्था के लोग बंदरों को पकड़कर उन्हें नपुंसकता का इंजेक्शन लगा देते थे। शहर के कुछ पक्के महलों में इस अभियान के दौरान बंदर अचानक गायब भी हो गए थे। इस कार्य में नगर निगम को प्रत्येक बंदर पर तीन सौ रुपए शुल्क देना था। नगर निगम यह शुल्क नहीं दे सका लिहाजा संस्था के लोग लौट गए।