वाराणसी । भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति पंडित मदन मोहन मालवीय जी को महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया है और आज 25 दिसंबर को पूरा देश पंडित जी की जयंती मना रहा है।
मालवीय जी का जन्म प्रयागराज में 25 दिसंबर को 1861 में हुआ था। अपनी शिक्षा उन्होंने प्रयागराज में ही पूर्ण की थी । पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार ,मातृभाषा तथा भारत माता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले महामना ने बनारस को एक ऐसी सौगात दी जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, शिक्षा के स्तर को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए महामना ने बनारस में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना की और उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करने की थी जो देश की सेवा मे अपना योगदान दे , उसका गौरव बढ़ाएं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
1904 में महामना ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी। उसके बाद काशी में यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए जमीन मांगने वह काशी नरेश के पास पहुंचे ,तो काशी नरेश ने उनके सामने एक शर्त रख दी, कि वह सुबह से शाम तक जितनी दूर तक की जमीन पर चल सकेंगे वह हिस्सा नाप कर उन्हें दे दिया जाएगा। इसके बाद महामना ने चलना शुरू किया और रास्ते में उन्हें एक खच्चर मिला ,उस खच्चर पर सवार होकर महामना ने 1360 एकड़ जमीन सुबह से लेकर शाम तक मे माप डाली । उसके बाद काशी नरेश के द्वारा उन्हें यूनिवर्सिटी बनाने के लिए कुल 1360 एकड़ जमीन दान में मिली। इस जमीन में कुल 11 गांव शामिल थे और आज के समय में यह यूनिवर्सिटी पूरे एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है।
महामना के द्वारा बनाई गई यूनिवर्सिटी, एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बन गया
काफी जद्दोजहद करने के बाद मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा बनाई गई बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आज एशिया की सबसे बड़े विश्वविद्यालय के नाम से भी जानी जाती है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह विश्वविद्यालय पूरे एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बना है। 1360 एकड़ में बने इस विश्वविद्यालय में 6 संस्थान, 14 संकाय के साथ 140 विभाग बने हुए है। विश्वविद्यालय के अंदर एक बहुत ही बड़ा शिव मंदिर बना हुआ है । जिसको मशहूर उद्योगपति बिरला द्वारा बनवाया गया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी में सर सुंदरलाल अस्पताल, अनेक खेल के मैदान , गौशाला और खेती करने की जगह भी है जहां छात्रों को इन सब चीजों के बारे में भी शिक्षित किया जाता है।
महामना एक आदर्श
पंडित मदन मोहन मालवीय एक बहुत ही महान आत्मा थे। जिन्होंने अपना सब कुछ देश के लिए कुर्बान कर दिया था ,शायद इसीलिए बापू उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे। उन्होंने ही मालवीय जी को महामना की उपाधि से नवाजा था। मालवीय जी सत्यमेव जयते को लोकप्रिय बनाया ,जो बाद में चलकर राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बना और इसे राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित किया गया है। महामना ने कई ऐसे काम किए हैं जो किसी के भी सोच से परे हैं और जिस महामना ने बनारस को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की सौगात दी जिसके रग रग में बनारस दौड़ता था और जिसने बनारस को अपनाने के बाद कभी नहीं छोड़ा उसी परमात्मा ने आजादी मिलने से 1 साल पहले बनारस में अपनी अंतिम सांस ली और सभी से विदा लेकर दुनिया छोड़कर चले गए। इसके बाद पंडित मदन मोहन मालवीय जी को सन 2014 में मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया।