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योगीराज लाहिणी महाशय जी स्वंय शास्त्र के प्रतिमूर्ति थे -कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी

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Posted On:Sunday, July 31, 2022




वाराणसी। श्यामाचरण लाहिड़ी (30 सितम्बर 1828 – 26 सितम्बर 1895) 19वीं शताब्दी के उच्च कोटि के साधक थे जिन्होंने सद्गृहस्थ के रूप में यौगिक पूर्णता प्राप्त कर ली थी। आपको 'लाहिड़ी महाशय' भी कहते हैं। इनकी गीता की आध्यात्मिक व्याख्या आज भी शीर्ष स्थान पर है। इन्होंने वेदान्त, सांख्य, वैशेषिक, योगदर्शन और अनेक संहिताओं की व्याख्या भी प्रकाशित की। इनकी प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि गृहस्थ मनुष्य भी योगाभ्यास द्वारा चिरशांति प्राप्त कर योग के उच्चतम शिखर पर आरूढ़ हो सकता है।योगीराज जी स्वंय शास्त्र के आयाम थे।
 उक्त विचार आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के योगसाधना केन्द्र मे अपरांह 2:00 बजे इस संस्था एवं योगीराज श्यामाचरण ,मिशन,पुणे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय विचार गोष्ठी में  "क्रिया योग का वर्तमान सामाजिक एवं दार्शनिक संदर्भ में विमर्श"विषय पर कुलपति हरेराम त्रिपाठी ने बतौर अध्यक्ष व्यक्त किया।
कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि भारतवर्ष महात्माओं और योगियों का देश है ।  जिस प्रकार योग ज्ञान के बिना योगी को नहीं जाना जा सकता उसी भांति योगी को जाने बिना आध्यात्मिक भारत को नहीं जाना जा सकता ।
कुलपति प्रो त्रिपाठी ने कहा कि  इसीलिये कहा जाता हे कि योग बिना भारत नहीं और भारत बिना योग नहीं । अत: योग साधना सनातन परम्परा है एवं प्रत्येक मनुष्य का आवश्यक कर्त्तव्य भी । क्रिया योग, जैसा कि लाहिड़ी महाशय द्वारा सिखाया जाता है उनके द्वारा काशी मे साहित्य मे क्रिया योग पर किये गये कार्यों पर वृहद् प्रकाश डालते हुये कहा कि योगीराज श्यामाचरण लाहिड़ी  पीठ की स्थापना भी यहां करके उनके पीठ से शोध कार्य भी कराया जाये।
अन्तरराष्ट्रीय विचार मंथन गोष्ठी के प्रारम्भ में मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलन ,माँ सरस्वती के प्रतिमा एवं योगीराज के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
स्वागत और अभिनंदन
विचारगोष्ठी के आयोजकों के द्वारा कुलपति प्रो त्रिपाठी  एवं अतिथि शांतनु कपूर का माल्यार्पण कर स्वागत और अभिनंदन किया गया।
विद्वत जनों का उद्बोधन
 योगीराज श्यामचरण मिशन,पुणे,महाराष्ट्र के संस्थापक सदस्य/अध्यक्ष श्री शान्तनु कपूर ने कहा कि योगीराज जी के द्वारा सदैव जनकल्याण,राष्ट्रभाव से कार्य किये गये उसे जन जन तक पहुंचाना ही मिशन का लक्ष्य है।
प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी आदि ने अपने विचार व्यक्त किया।
विषय उपस्थापन
अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो सुधाकर मिश्र के द्वारा विचार मंथन गोष्ठी का उपस्थापन करते हुये कहा कि योगीराज के कृतित्व को आगे बढाना ही हम सभी का दायित्व है।
उपस्थिति
योगीराज पीठ की संस्थापक जयति कपूर,प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो रामपूजन पान्डेय,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी,प्रो महेंद्र पान्डेय,प्रो रमेश प्रसाद,प्रो अमित कुमार शुक्ल,डॉ विजय पान्डेय,डॉ दिनेश गर्ग ,छात्र आदि उपस्थित थे।


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